Pitru Paksha 2023 : सनातन धर्म में पितृ ऋण का सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है। पितृ ऋण पूर्वज और माता-पिता से जुड़ा होता है। ग्रंथों के मुताबिक मनुष्य पर तीन तरह के ऋण होते हैं। पहला पितृ ऋण, दूसरा देव ऋण और तीसरा ऋषि ऋण। ये जीवन धारण करने और उसके विकास के लिए मदद करते हैं। पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए साल के पंद्रह दिन तय किए जाते हैं जिसमें पूजन अर्चन किया जाता है।
ये पंद्रह दिन पितृ पक्ष के नाम से जाने जाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध किया जाता है ताकि उन्हें मुक्ति मिल सके। श्राद्ध करने से मनुष्य के जीवन की परेशानियां भी दूर की जा रही है। कहा जाता है कि अगर पितृ का श्राद्ध सही से नहीं किया जाए तो परिवार के सदस्यों को पितृ दोष लग जाता है। इस वजह से जीवन में काफी ज्यादा समस्या आने लग जाती है। व्यक्ति जीवन में बहुत परेशान हो जाता है।
इतना ही नहीं पितृ पक्ष के दौरान किए गए कुछ कार्य भी जीवन में परेशानियां खड़ी कर सकते हैं। ऐसे में पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध करने से परेशानियों से मुक्ति मिलती है। आपको बता दे, इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत पूर्णिमा यानी 29 सितंबर से हो रही है। ये पितृ पक्ष अमावस्या यानी 14 अक्टूबर तक समाप्त होगा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं क्यों पितृ पक्ष में श्राद्ध एवं तर्पण करना चाहिए? और किस बात का ध्यान इस दौरान रखना चाहिए? चलिए जानते हैं –
जानें क्यों किया जाता है तर्पण
जैसा कि आप सभी जानते हैं पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितृ ऋण से मुक्ति पाई जा सकती है और पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। जीवन की परेशानियों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। अगर पितृ पक्ष में श्राद्ध का कार्य अच्छे मन से किया जाए तो पूर्वज प्रसन्न होते हैं। इतना ही नहीं इससे असामयिक मौत से भी छुटकारा मिलता है और इसका डर भी दूर होता है। ज्योतिषों की माने तो तर्पण करने से पितृ दोष और काल सर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है।
इन तिथि का रखें ध्यान
पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का हिंदू धर्म में काफी ज्यादा महत्व माना जाता है। ये पितृ पक्ष की हर अमावस्या को पितरों के लिए तर्पण किया जाता है। लेकिन इसके लिए तिथि का ध्यान हमेशा रखना चाहिए। गलत तिथि पर श्राद्ध कभी भी भूलकर नहीं किया जाना चाहिए इससे जीवन में समस्या उत्पन्न हो जाती है। अगर किसी की दुर्घटना की वजह से मौत हुई हो तो चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध किया जाना चाहिए। वहीं पिता का अष्टमी के दिन और माता का नवमी के दिन किया जाना चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
श्राद्ध वाले दिन घर के लोगों को बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए। वहीं पितृ पक्ष के 16 दिन सिर्फ सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। इसके अलावा मांस, मछली, अंडा और शराब का सेवन भी नहीं किया जाना चाहिए। ये अशुभ माना जाता है। इसकी वजह से व्यक्ति को जीवन में परेशानियां झेलना पड़ सकती है। हिंदू धर्म की माने तो श्राद्ध के दौरान प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए इसे तामसिक माना जाता है। वहीं किसी के साथ भी बुरा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। शादी, विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य भी इस दौरान करना अशुभ माने जाते हैं।
डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।