हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। इस दिन माता पार्वती भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि अगर इसी दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प करें और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करें तो भक्तों पर हमेशा कृपा बनी रहती है।
अब मार्च का महीना लग चुका है। ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है, कि मार्च के महीने में पहला प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा। प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार आता है। पहला कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन। मार्च 2025 में पहला प्रदोष व्रत कब पड़ेगा, चलिए जानते हैं।

मार्च 2025 में कब है पहला प्रदोष व्रत? (Pradosh Vrat 2025)
मार्च 2025 का पहला प्रदोष व्रत 11 मार्च को रखा जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 मार्च को सुबह 8:13 बजे शुरू होगी, और 12 मार्च को सुबह 9:11 बजे समाप्त होगी। जैसा कि हिन्दू धर्म में हर त्योहार और व्रत उदयातिथि के अनुसार ही रखा जाता है, इसलिए उदयातिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 11 मार्च, यानी सोमवार को रखा जाएगा, सोमवार के दिन होने से यह व्रत और भी ख़ास हो जाएगा।
प्रदोष व्रत पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की शाम के समय प्रदोष काल में पूजा की जाती है। श्रद्धालु दिनभर उपवास रखते हैं, फिर संध्या समय शिवलिंग का अभिषेक, रुद्राभिषेक, धूप दीप, नैवेघ और मंत्र जप कर महादेव की आराधना करते हैं। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। अगर आप 11 मार्च 2025 को प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करना चाहते हैं, तो शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखें। इस दिन शाम 6:27 बजे से शाम 8:53 बजे तक प्रदोष काल में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण करें, और भगवान शिव का ध्यान करें।
- इसके बाद शुद्ध जल से ही भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें। साथ ही साथ भगवान सूर्यदेव के किसी भी एक मंत्र का जाप करें।
- अब शिवलिंग को साफ़ जगह पर स्थापित करें, और ध्यान लगाकर पूरे सच्चे मन से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- इसके बाद शिवलिंग पर चंदन अर्पित करें, भस्म लगाएं, बेल पत्र चढ़ाएं।
- इसके बाद भगवान शिव को खीर, दही या फिर किसी भी चीज़ का भोग अर्पित करें।
- भगवान शिव के सामने देसी घी का दीपक जलाएं, और आरती शुरू करें।
- इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें, उनके मंत्रों का जाप करें, और मन ही मन भगवान शिव से प्रार्थना करें।
- पूजा सम्पन्न होने के बाद, प्रसाद को सभी लोगों में बांटें।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।