प्राचीन शीतला माता मंदिर में की जाएगी 21 को काली माता की प्राण-प्रतिष्ठा

Gaurav Sharma
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सीहोर, अनुराग शर्मा। शहर के इंग्लिशपुरा स्थित प्राचीन हरदौल लाला और शीतला माता मंदिर में इस साल भी नवरात्रि के अवसर पर पूजा अर्चना का क्रम जारी है। इसके अलावा यहां पर इस साल दक्षिणेश्वरी काली माता और शनि महाराज की भव्य प्रतीमा की स्थापना आगामी 21 अक्टूबर बुधवार को पूर्ण-विधि-विधान से शासन की गाइड लाइन पालन करते हुए प्राण-प्रतिष्ठा का आयोजन किया जाएगा। उक्त कार्यक्रम का आयोजन पंडित अखिलेश रजोरिया आदि के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए पंडित कपिल रजोरिया ने बताया कि इंग्लिशपुरा स्थित प्राचीन हरदौल लाला और शीतला माता मंदिर 17 वीं शताब्दी से यहां पर हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। यहां पर माता शीतला देवी सहित अन्य देवियों के अलावा मंदिर परिसर में भगवान कृष्ण आदि की मूर्तिया स्थापित है।

नव रात्रि को यहां पर माता काली और शनि महाराज की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर पांच दिवसीय आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर हवन के तीसरे दिवस समाजसेवी राजेश भूरा यादव, प्रियांशु दीक्षित सहित अन्य लोगों ने मंदिर में हवन आदि की आहुतियां दी। उन्होंने बताया कि मंगलवार को मंदिर परिसर में हवन के दौरान गायत्री और देवी मंत्रों से मां की विशेष आराधना की जाएगी।

पूरे नौ दिन होती है माता की सेवा

पंडित कपिल रजोदिया ने बताया कि शहर के इंग्लिशपुरा स्थित प्राचीन हरदौल लाला और शीतला माता मंदिर में हर साल नवरात्रि का महापर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण काल के कारण सादगी के साथ माता की अर्चना की जा रही है, वहीं सालों से निर्धारित दक्षिणेश्वरी काली माता जी और शनि महाराज की मूर्ति के प्राण-प्रतिष्ठा के अनुष्ठान को भी समिति रूप से किया जा रहा है। यहां पर प्रतिदिन आधा दर्जन से अधिक जोड़ों को हवन में आमंत्रित किया गया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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