‘ॐ नम: शिवाय’ ये सिर्फ 3 शब्द नहीं, बल्कि एक ऐसा मंत्र है जो मन को शांति, आत्मा को ऊर्जा और जीवन को दिशा देता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या इस मंत्र का जाप बिना किसी गुरु के किया जा सकता है? क्या बिना दीक्षा के यह मंत्र अपना पूरा असर देता है?
हाल ही में इस विषय पर प्रेमानंद जी महाराज का बयान सामने आया है, जो सोशल मीडिया और श्रद्धालुओं के बीच तेजी से वायरल हो रहा है। उनके जवाब ने ना सिर्फ लोगों की जिज्ञासा शांत की, बल्कि यह भी बताया कि भक्ति में गुरु का क्या स्थान होता है और कब मंत्र प्रभावी होता है।
क्या कहती है भक्ति की राह में गुरु की भूमिका?
गुरु मंत्र के बिना ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप कैसा?
प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट कहा कि गुरु के बिना भी ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप किया जा सकता है, लेकिन इसकी गहराई और प्रभाव उतना नहीं होता जितना गुरु के मार्गदर्शन में होता है। उन्होंने कहा कि यह मंत्र शिव का सबसे सरल और प्रभावशाली बीज मंत्र है, जिसे कोई भी श्रद्धा से जपे, उसे लाभ जरूर मिलता है। लेकिन जब गुरु से दीक्षा लेकर जाप किया जाता है, तो उसकी शक्ति और फल कई गुना बढ़ जाते हैं।
शिव मंत्र और गुरु का आपसी संबंध
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, गुरु केवल एक मार्गदर्शक नहीं, बल्कि ऊर्जा का स्रोत भी होते हैं, जो मंत्र में प्राण डालते हैं। शिव भक्ति में जब कोई गुरु से ‘ॐ नम: शिवाय’ की दीक्षा लेता है, तो मंत्र साधना का मार्ग स्पष्ट हो जाता है। बिना गुरु के जाप में भटकने का खतरा रहता है क्योंकि साधक को दिशा नहीं मिलती।
क्या कोई भी कर सकता है शिव मंत्र का जाप?
इस सवाल पर महाराज ने जवाब दिया कि शिव कोई जात-पात, उम्र या स्थिति नहीं देखते, उनका आशीर्वाद सबको मिलता है। अगर आप दिल से शिव का नाम लेते हैं, तो वो जरूर सुनते हैं। लेकिन अगर आप दीक्षा लेकर, गुरु की छत्रछाया में जाप करें, तो वह मार्गदर्शन आपके लिए एक मजबूत आधार बन जाता है। इसलिए, गुरु के बिना भी जाप करें, लेकिन सही तरीके से करें, और जब भी अवसर मिले, गुरु का मार्गदर्शन जरूर लें।





