पुत्रदा एकादशी का व्रत केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहरा आध्यात्मिक और मनोकामना पूर्ण करने वाला दिन माना जाता है। खासकर उन दंपत्तियों के लिए, जो संतान की इच्छा रखते हैं, यह व्रत अत्यंत फलदायक होता है।
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और विशेष मंत्रों का जाप करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन की अड़चनों से मुक्ति मिलती है। अगर पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक व्रत किया जाए, तो भाग्य के बंद दरवाजे भी खुल जाते हैं।
मंत्रों का महत्व
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कुछ खास मंत्रों का जाप अत्यंत फलदायी माना गया है। ये मंत्र न केवल मानसिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन की बाधाओं को भी दूर करते हैं।
शुभता और सफलता के लिए मंत्र:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, इस मंत्र का जाप 108 बार करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
संतान सुख के लिए विशेष मंत्र:
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गौं वषट् श्रीधराय नमः यह मंत्र संतान सुख की प्राप्ति में मदद करता है।
कष्ट निवारण के लिए मंत्र
ॐ विष्णवे नमः इसका नियमित जाप मानसिक शांति और हर प्रकार की बाधा से मुक्ति दिलाता है।
पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि और आरती
इस दिन व्रतधारी प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं और भगवान विष्णु के समक्ष दीपक, पुष्प, फल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करते हैं। शाम को आरती और भजन कीर्तन कर प्रसाद का वितरण किया जाता है।





