भारत में एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी बेहद खास माना जाता है। खासतौर पर पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi 2025) उन महिलाओं के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण मानी जाती है, जो संतान की प्राप्ति की कामना रखती हैं। इस खास दिन पर एक विशेष बीज का नाम चर्चा में आता है, पुत्रजीवक बीज।
आयुर्वेदिक मान्यता और धार्मिक विश्वासों के अनुसार, पुत्रजीवक बीज को संतान प्राप्ति में सहायक माना गया है। मान्यता है कि यदि महिलाएं पुत्रदा एकादशी के दिन इस बीज की माला बनाकर विधिपूर्वक भगवान विष्णु का जाप करें, तो उन्हें संतान सुख प्राप्त हो सकता है। यह कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि वर्षों से चली आ रही एक परंपरा है जिसका उल्लेख आयुर्वेद और पुराणों में भी किया गया है।
क्या है पुत्रजीवक बीज और क्यों है ये खास?
पुत्रजीवक बीज एक खास जड़ी-बूटी का बीज है, जो उत्तर भारत में विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे आयुर्वेद में महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने वाला प्राकृतिक उपाय बताया गया है। इस बीज की खास बात यह है कि इससे किसी तरह के साइड इफेक्ट नहीं होते और यह पूरी तरह नैचुरल उपाय माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पुत्रदा एकादशी पर इसका जाप करना विशेष फलदायी होता है।
कैसे करें पुत्रजीवक बीज की माला से जाप?
पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और शांत वातावरण में भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति के सामने पुत्रजीवक बीज की माला से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें। इस माला में आमतौर पर 108 बीज होते हैं और इसे पूजा से पहले गंगाजल से शुद्ध किया जाता है। नियमित रूप से इस माला से जाप करने पर संतान की प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ती हैं, ऐसा श्रद्धालु मानते हैं।
वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से क्या कहता है शोध?
हाल के वर्षों में कई आयुर्वेदिक विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने भी पुत्रजीवक बीज की गुणवत्ता पर अध्ययन किया है। उनके अनुसार, इस बीज में ऐसे प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं जो महिलाओं के हार्मोनल संतुलन को दुरुस्त करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि यह किसी डॉक्टर की सलाह का विकल्प नहीं है, परंतु एक सहायक उपाय के रूप में इसे अपनाया जा सकता है। यही वजह है कि कई आयुर्वेदिक क्लीनिकों में अब इस बीज से बनी दवाएं भी मिलती हैं।





