जन्मकुंडली में कैसे बनता है Rajyog, कहीं आपकी कुंडली में भी तो नहीं ये योग?

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Rajyog In Kundali : राजयोग का कुंडली में काफी ज्यादा महत्व माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में भी ये बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। दरअसल, लोगों की जिंदगी में काफी ज्यादा संघर्ष होते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जन्म के वक्त से ही अपनी किस्मत लिखवा कर लेकर आते हैं। दरअसल जन्म से ही उन व्यक्तियों की कुंडली में कुछ ऐसे योग होते हैं जो उनके जीवन को बिल्कुल भी परेशानियां झेलने नहीं देते हैं। उनका जीवन आराम, शान और ठाट से गुजरता है।

कहा जाता है कि वह जातक जन्म से ही अपने कुंडली में राजयोग के साथ पैदा होते हैं। ऐसे लोगों के पास कभी भी धन की कमी नहीं होती ना ही उनके जीवन में कोई दुख आता है। वह जहां कदम रखते हैं सफलता उनके कदम छूने लगती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कुंडली में राजयोग का निर्माण कैसे होता है? नहीं जानते होंगे आज हम आपको बताने जा रहे हैं जन्मकुंडली में राजयोग कैसे बनता है और राजयोग क्या होता है। चलिए जानते हैं विस्तार से –

राजयोग वह होता है जो जीवन में व्यक्ति को ठाठ बाट की परिकल्पना करवाता है। राजयोग से आशय, उच्च पद प्रतिष्ठा, सर्व सुविधा युक्त जीवन और आत्मिक शांति व संतुष्टि प्राप्त होती है। इतना ही नहीं राज्यों का व्यापक अर्थ आध्यात्मिक उन्नति होना भी माना जाता है। कई राजयोग ऐसे होते हैं जो मनुष्य के जीवन में सुख, प्रसिद्धि, धन, उच्च पद, प्रतिष्ठा देते हैं तो कई राजयोग ऐसे भी होते हैं, जो व्यक्ति को जीवन में थोड़ी मुश्किलें देते हैं लेकिन उससे पार करवा देते हैं।

जानें कैसे बनता है जन्मकुंडली में राजयोग

  • जब तीन या तीन से अधिक ग्रह अपनी उच्च राशि या स्वराशि में होते हुए केंद्र में स्थित हो तब राजयोग का निर्माण होता है।
  • जब कोई ग्रह नीच राशि में स्थित होकर वक्री और शुभ स्थान में स्थित हो तब राजयोग का सुख मिलता है।
  • तीन या चार ग्रहों को दिग्बल प्राप्त हो तो कुंडली में राजयोग बनता है।
  • चन्द्र केंद्र स्थित हो और गुरु की उस पर दृष्टि हो तब राजयोग का निर्माण होता है।
  • नवमेश व दशमेश का राशि परिवर्तन हो तो राजयोग बनता है।
  • नवमेश नवम में व दशमेश दशम में हो तो राजयोग का सुख मिलता है।
  • नवमेश व दशमेश नवम में या दशम में हो तब राजयोग कुंडली में बनता है।

ज्योतिष में करीब 32 प्रकार के राजयोग बताए गए हैं। हालांकि 32 राजयोग किसी भी कुंडली में एक साथ नहीं मिलते हैं। अगर यह सभी एक ही कुंडली में मिल जाए तो जातक चक्रवर्ती विश्व विजयी होता है।

डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।


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Ayushi Jain

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