Rajyog in Kundali : राजयोग जिस भी व्यक्ति की कुंडली में मौजूद होता है वो व्यक्ति जीवन में अपार सफलता हासिल करता है। इतना ही नहीं उस व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। ज्योतिष शहर और वैदिक ज्योतिष में भी इसका काफी ज्यादा महत्व माना गया है। वैसे तो 32 प्रकार के राजयोग मौजूद है लेकिन इनमें से सिर्फ कुछ ही योगों को शक्तिशाली माना जाता है।
कुछ योग जीवन के अच्छे ग्रहों को भी बिगड़ने में मदद करते हैं। लेकिन कुछ इतने प्रभावशाली होते हैं जो जातकों को जीवन में हर सुख प्रदान करते हैं। कुछ जातकों की जन्मकुंडली में राजयोग जन्मजात से ही मौजूद होता है तो कुछ की कुंडली में कई सालों की मेहनत और सफलता के बाद।
आज हम आपको एक ऐसे राजयोग के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद खास और प्रभावशाली माना जाता है। इस योग का ज्योतिष शास्त्र में भी काफी ज्यादा महत्व माना जाता है। जिस भी जातक की कुंडली में वो योग बनता है वो जातक राजसुख भोगता है। उसे समाज में मान- सम्मान और प्रतिष्ठा मिलता है। चलिए जानते हैं उस राजयोग के बारे में –
जानें उस Rajyog के बारे में
दिव्य योग
वैदिक ज्योतिष के मुताबिक, कुंडली में जब दिव्य योग बनता है तो जातक जीवन में अपार सफलता हासिल करता है। व्यक्ति को समाज में मान सम्मान मिलने के साथ ही साथ पुश्तैनी संपत्ति भी मिलती है। शिक्षा सम्बन्धी कार्य में भी व्यक्ति सबसे आगे रहता है। हमेशा मां लक्ष्मी की कृपा उन पर बनी रहती है। सफलता के उच्च पद पर ये जातक पहुंचते हैं। ये योग कुंडली में तब बनता है जब गुरु स्वराशि यानी धनु या मीन में स्थित हों या अपनी उच्च राशि के केंद्र स्थान में मौजूद हों।
इसके आलावा कुंडली में मौजूद ये स्थिति व्यक्तियों को बनती है धनवान
कुंडली के पंचम भाव में बुध की राशि कन्या या मिथुन हो और उसमें शुभ ग्रह विराजमान हो या फिर लाभ स्थान में चंद्र के साथ मंगल हो तब भी कुंडली में राजयोग बनता है। इस स्थिति में जातक धनवान बनता है।
कुंडली के दसवें स्थान का स्वामी वृषभ या तुला राशि में स्थित हो और शुक्र सातवें भाव का स्वामी हो ता भी जातक धनवान रहता है। उसकी कुंडली अच्छी मानी जाती है।
डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।