रमा एकादशी पर बन रहे 2 शुभ योग, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा, घर आएगी सुख-समृद्धि!

रमा एकादशी 17 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। ब्रह्म और इंद्र योग के संयोग से यह दिन अत्यंत शुभ है, जिससे धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

भारत में कार्तिक महीने में आने वाली रमा एकादशी पूरे भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। इस दिन मंदिरों में भजन-कीर्तन की ध्वनि गूंजती है, घरों में दीप जलाए जाते हैं। हर कोई भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना में डूबा रहता है। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु की पूजा और व्रत के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। एकादशी का अर्थ होता है ग्यारह होता है। दिनभर उपवास के माध्यम से उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।

इस दिन विशेष रूप से तुलसी पूजा भी की जाती है, क्योंकि तुलसी पौधे को भगवान विष्णु की पत्नी के रूप में माना जाता है। एकादशी के दिन व्रत का पालन करने वाले लोग उनके द्वारका, आयोध्या, अयोध्या वासी या अच्युताय नामक भगवान विष्णु के कथाओं का सुनते हैं। यह व्रत विशेष ध्यान, भक्ति और पवित्रता के साथ किया जाता है।

शुभ मुहूर्त

दृक पंचांग के मुताबिक, रमा एकादशी की तिथि 16 अक्टूबर गुरुवार सुबह 10 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी। इसका समापन 17 अक्टूबर शुक्रवार सुबह 11 बजकर 12 मिनट पर होगा। उदयातिथि के हिसाब से व्रत 17 अक्टूबर शुक्रवार को ही रखा जाएगा।

इस साल रमा एकादशी का व्रत 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आता है। खास बात यह है कि यह एकादशी दीवाली से ठीक पहले पड़ती है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन, वैभव और खुशहाली बनी रहती है। जो व्यक्ति श्रद्धा से व्रत रखता है, उसके जीवन से आर्थिक और मानसिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। कहा जाता है कि इस दिन किया गया एक दीपक जलाना भी अनंत पुण्य के समान होता है।

शुभ योग

रमा एकादशी के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें ब्रह्म योग और इंद्र योग शामिल है। 17 अक्टूबर की सुबह से लेकर देर रात 1 बजकर 48 मिनट तक ब्रह्म योग रहेगा। यह योग बेहद शुभ माना जाता है। इस दौरान अगर कोई व्यक्ति ध्यान, जप, साधना या पूजा-पाठ करता है तो उसका फल कई गुना बढ़ जाता है। वहीं, रात 1:48 के बाद इंद्र योग बन जाएगा। यह योग भी बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इंद्र योग में किए गए कर्मों से व्यक्ति की प्रतिष्ठा और वैभव बढ़ता है। इस समय अगर कोई दान या भगवान की आराधना की जाए तो उसका असर लंबे समय तक बना रहता है।

व्रत के दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र सुबह से दोपहर 3 बजकर 41 मिनट तक रहेगा, इसके बाद उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र शुरू हो जाएगा। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र को आनंद और प्रेम का प्रतीक माना जाता है, जबकि उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र सफलता और स्थिरता का संकेत देता है।

तुलसी पूजा

एकादशी के दिन सबसे पहले तुलसी के पौधे की पूजा करनी चाहिए। तुलसी को माता लक्ष्मी का ही स्वरूप माना गया है। इस दिन तुलसी के पास घी का दीपक जलाने की परंपरा है। दीपक जलाने के बाद तुलसी चालीसा का पाठ करें। इसके बाद 7 बार तुलसी की परिक्रमा करें, जिसे बहुत शुभ माना जाता है। इससे घर में धन की वृद्धि होती है और पारिवारिक कलह खत्म होते हैं। ऐसा माना जाता है कि तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी रहती है।

अखंड दीपक

एकादशी के दिन घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने घी का अखंड दीपक जलाने की परंपरा है। यह दीपक पूरी रात जलता रहना चाहिए। इससे घर में सकारात्मकता आती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन अखंड दीपक जलाता है, उसके घर में कभी धन की कमी नहीं होती।

उत्तर दिशा

वास्तु शास्त्र में उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा कहा गया है। यह धन और समृद्धि की दिशा मानी जाती है। इसलिए रमा एकादशी की शाम को उत्तर दिशा में घी का दीपक जलाना बहुत लाभदायक होता है। ऐसा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और नए धन के स्रोत खुलते हैं। कई लोग इस दिन तिजोरी या अलमारी के पास भी दीपक जलाते हैं, ताकि लक्ष्मी कृपा बनी रहे।

पीपल

पीपल का पेड़ धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पूजनीय माना गया है। मान्यता है कि इसमें भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों का वास होता है। रमा एकादशी की शाम को अगर आप पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं, तो पितरों का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही घर में चल रही बाधाएं और आर्थिक संकट धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं।

रसोई

रसोई घर को मां अन्नपूर्णा का स्थान माना गया है। माना जाता है कि जहां रसोई में साफ-सफाई और श्रद्धा रहती है, वहां कभी अन्न की कमी नहीं होती। इसलिए रमा एकादशी के दिन रसोई में एक छोटा सा दीपक जरूर जलाना चाहिए। इससे घर में अन्न और धन की बरकत बनी रहती है और परिवार में हमेशा सुख-शांति रहती है।

महत्व

रमा एकादशी दिवाली से पहले आता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और आराधना करने का महत्व है, जिससे व्यक्ति को आशीर्वाद मिलता है और मां लक्ष्मी की कृपा साधक पर बरसती है। इस दिन के पारण और पूजा के द्वारा लोग ऐश्वर्य, कीर्ति, धन और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं। इस साल रमा एकादशी का व्रत बड़ा खास पड़ रहा है, क्योंकि इस दिन 2 शुभ योग भी बन रहे हैं, जो इस दिन को और ज्यादा फलदायी बना देंगे।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)


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