Ratna Shastra: रत्न शास्त्र ज्योतिष की एक महत्वपूर्ण शाखा है जिसमें नौ रत्नों और 84 उपरत्न का वर्णन दिया गया है। लेकिन इनके अलावा कुछ खास रत्नों का जिक्र भी दिया गया है। इनमें से एक पितांबरी नीलम है जिसका संबंध देवगुरु बृहस्पति और शनि देव से माना गया है। इसमें नीली और पीली दोनों तरह की आभा होती है। जो व्यक्ति साधारण करता है उसे शनिदेव और बृहस्पति दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पितांबरी नीलम धारण करने वाला व्यक्ति आस्थावान बनता है और उसके जीवन में सकारात्मकता आती है। शनि देव की कृपा और बृहस्पति की कृपा प्राप्त होती है और यह मेहनती बनते हैं। चलिए आज हम आपको इस रत्न को धारण करने की विधि और लाभ बताते हैं।
इन राशियों के लिए है लाभदायक
पितांबरी नीलम कुंभ, मकर, धनु और मीन राशि के लोगों के लिए लाभकारी होता है। हालांकि, धारण करने से पहले शनि या गुरु की स्थिति देखना बहुत जरूरी होता है। यह दोनों ग्रह व्यक्ति की कुंडली में नीच या फिर शत्रु राशि में नहीं होना चाहिए। अगर यह दोनों ग्रह पंचम नवम या दशम भाव में है तो पितांबरी नीलम पहनना शुभ माना जाता है। पितांबरी नीलम उन लोगों के लिए लाभदायक है जिनकी कुंडली में शनि और गुरु की स्थिति कमजोर है।
ऐसे करें धारण
अगर आपको पीतांबरी नीलम धारण करना है तो इसे पंचधातु में जड़वाकर पहनें। यह सात से सवा 8 रत्ती का होना चाहिए। यह मध्यमा उंगली में पहना जाता है। पहनने से पहले गाय के कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। जब भी इसे धारण करें गुरु और शनि देव से संबंधित दान जरूर करें।
होंगे ये लाभ
पितांबरी नीलम धारण करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है तो निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। यह व्यक्ति की कार्यशैली में निखार लाता है और सोच को सकारात्मक बनाता है। इसे धारण करने के बाद आय में वृद्धि होती है। जो लोग शनि की साढ़े साती और ढैया से प्रभावित है उनके लिए भी यह शुभ माना गया है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति को देखने के बाद इसे ठीक तरह से धारण करें तो शुभ परिणाम मिलेंगे।
डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।