रविवार का दिन वैसे भी सूर्य देव को समर्पित माना जाता है, और जब यही दिन प्रदोष व्रत के साथ मिल जाए तो इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। 8 जून 2025 को रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat 2025) पड़ रहा है, जो शिव भक्ति के साथ-साथ पारिवारिक सुख-शांति के लिए भी बेहद फलदायक माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से बिगड़े रिश्ते सुधरते हैं और मन की कड़वाहट भी धीरे-धीरे खत्म होने लगती है।
आजकल जब छोटी-छोटी बातों पर घरों में तनाव बढ़ रहा है, तो ऐसे व्रत मानसिक और भावनात्मक रूप से भी संबल देते हैं। विशेष मंत्रों का जाप इस दिन और भी ज्यादा प्रभावशाली माना गया है, जिससे मन शांत होता है, सोच सकारात्मक बनती है और रिश्तों में फिर से वही पुराना अपनापन लौट सकता है। आखिर कौन नहीं चाहता कि घर में शांति और रिश्तों में मिठास बनी रहे?

8 जून को है रवि प्रदोष व्रत, रिश्तों में बढ़ेगा अपनापन
अगर घर के माहौल में टेंशन बढ़ गई है, या रिश्तों में बात-बात पर बहस हो रही है, तो 8 जून 2025 को आने वाला रवि प्रदोष व्रत आपके लिए बेहद खास हो सकता है। रविवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करने और उनके 108 नामों का जाप करने से मन शांत होता है और रिश्तों में चल रही खटास कम होती है।
रवि प्रदोष व्रत 2025: तिथि, समय और महत्व
रवि प्रदोष व्रत की तिथि: 8 जून 2025, रविवार ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, रवि प्रदोष व्रत सूर्य देवता और भगवान शिव दोनों के संयुक्त प्रभाव वाला दिन होता है। इस दिन व्रत रखने और शिव-पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने से पारिवारिक जीवन में समृद्धि आती है। खासतौर पर वैवाहिक जीवन में चल रही गलतफहमियां धीरे-धीरे खत्म होती हैं।
पढ़िए वो खास मंत्र जो ला सकते हैं रिश्तों में मिठास
इस दिन माता पार्वती के 108 नामों का जाप करना बेहद फलदायक माना गया है। साथ ही “ॐ नमः शिवाय” का कम से कम 108 बार जाप ज़रूर करें। इससे मन की शुद्धि होती है और नेगेटिव सोच खत्म होती है।
कुछ असरदार मंत्रों में शामिल हैं:
ॐ सर्वमंगलायै नमः
ॐ अन्नपूर्णायै नमः
ॐ शिवप्रियायै नमः
इन मंत्रों का जाप करते समय दीपक जलाएं, गंगाजल का छिड़काव करें और मन में यह भावना रखें कि आपके रिश्ते फिर से पुराने जैसे मधुर बन जाएं।
रवि प्रदोष व्रत का मानसिक और सामाजिक असर
आज के दौर में रिश्तों में टूटन का एक बड़ा कारण है संवाद की कमी। ऐसे में प्रदोष व्रत जैसे पर्व न सिर्फ धार्मिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी हमें मजबूती देते हैं। जब हम एकाग्र होकर पूजा करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं, तो हमारा मन शांत होता है, विचार सकारात्मक होते हैं और हम दूसरों की बातों को समझने लगते हैं। यही समझ ही किसी भी रिश्ते को जोड़ने की सबसे पहली सीढ़ी होती है।
क्या है भविष्य में इसका असर?
पिछले कुछ समय से युवाओं में भी धार्मिक रीति-रिवाज़ों को लेकर रुचि बढ़ी है। ऐसे में रवि प्रदोष व्रत जैसे पर्व नई पीढ़ी को अपने मूल से जोड़ सकते हैं। लोग अब समझने लगे हैं कि मन की शांति सिर्फ सोशल मीडिया या बाहर घूमने से नहीं, बल्कि अंदर से संतुलन पाने से आती है और उसमें मदद करते हैं ये व्रत और पूजा-पाठ।