हिंदू धर्म में बहुत सारे पर्व त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनका अपना अलग-अलग महत्व होता है। इनमें पूर्णिमा तिथि का भी विशेष महत्व है। यह हर महीने एक बार मनाई जाती है। वहीं, इस महीने मनाए जाने वाली पूर्णिमा तिथि को फाल्गुन पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु और राधा-कृष्ण की पूजा भी की जाती है, जिससे जीवन में खुशहाली आती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, जेष्ठ पूर्णिमा का पर्व 11 जून को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है जिससे जीवन में सुख और शांति आएगी।
पंचांग के अनुसार, जेष्ठ पूर्णिमा की शुरुआत 10 जून को सुबह 11:35 पर होगी, जिसका समापन 11 जून को दोपहर 1:30 पर होगा। उदया तिथि के अनुसार 11 जून को जेष्ठ पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाएगा।

मिलती है शांति
भगवान सत्यनारायण की कथा करने का विधान है, जिससे मनुष्य को सभी प्रकार से शांति मिलती है। हाथी का मोक्ष को प्राप्त करना है चला जाता है। भगवान शब्द नारायण का उल्लेख स्कंद पुराण में पाया जाता है। के अनुसार भगवान विष्णु ऋषि देव मोदी नारद को यह कथा सुनाई थी। और इसलिए बताया था एकादशी या फिर गुरुवार के दिन किया जाता है।
महत्व
सत्यनारायण व्रत कथा सुनने और व्रत करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जातकों को भगवान की कृपा प्राप्त होती है। हिन्दू धर्म में सत्यनारायण व्रत रखा महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत हर माह पूर्णिमा तिथि को रखा जाता है। इसमें भगवान सत्यनारायण की कथा सुनी जाती है। इस दौरान पूजा, कथा श्रवण, भजन-कीर्तन, व्रत कथा का पाठ समेत भंडारे का आयोजन किया जाता है।
पूजा अधूरी
पूजा की शुरूआत में सबसे पहले भगवान सत्यनारायण की मूर्ति रखी जाती है और पूजा के दौरान विशेष प्रकार के फल, फूल, तुलसी, घी, चावल, गुड़, दही, शक्कर, नारियल, पान, सुपारी, नट, इलायची, अगरबत्ती और दीपक अर्पित किए जाते हैं। कोई भी मांगलिक कार्य हो बिना सत्यनारायण व्रत के पूर्ण नहीं मानी जाती। इस व्रत को करने से भक्तों पर सदैव भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है।
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