Shree Ram Chalisa: आज का दिन बहुत ही खास दिन है। आज मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। जिसको लेकर देश भर में जोरों शोरों से तैयारी चल रही है। इस दिन सभी अपने-अपने घरों में दिवाली मना रहे हैं। आज के दिन अयोध्या नगरी दुल्हन की तरह सजी हुई है। आपको बता दें, प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 को 08 सेकंड से शुरू होकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक रहेगा। मतलब प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त केवल 84 सेकंड तक रहेगा। अगर आप भी घर बैठकर भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा में भागीदार बनना चाहते हैं, तो घर में प्राण प्रतिष्ठा के समय पर श्री राम चालीसा का पाठ जरूर करें। इस चालीसा का पाठ करने से जीवन की तमाम परेशानियां दूर हो जाती है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।
कैसे करें श्रीराम चालीसा का पाठ
श्रीराम चालीसा
।। चौपाई ।।
श्री रघुवीर भक्त हितकारी, सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई, ता सम भक्त और नहिं होई।
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं, ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं।
जय जय जय रघुनाथ कृपाला, सदा करो सन्तन प्रतिपाला।
दूत तुम्हार वीर हनुमाना, जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना।
तव भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला, रावण मारि सुरन प्रतिपाला।
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं, दीनन के हो सदा सहाई।
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं, सदा ईश तुम्हरो यश गावैं।
चारिउ वेद भरत हैं साखी, तुम भक्तन की लज्जा राखी।
गुण गावत शारद मन माहीं, सुरपति ताको पार न पाहीं।
नाम तुम्हार लेत जो कोई, ता सम धन्य और नहिं होई।
राम नाम है अपरम्पारा, चारिउ वेदन जाहि पुकारा।
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों, तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों।
शेष रटत नित नाम तुम्हारा, महि को भार शीश पर धारा।
फूल समान रहत सो भारा, पावत कोउ न तुम्हरो पारा।
भरत नाम तुम्हरो उर धारो, तासों कबहुं न रण में हारो।
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा, सुमिरत होत शत्रु कर नाशा।
लषन तुम्हारे आज्ञाकारी, सदा करत सन्तन रखवारी।
ताते रण जीते नहिं कोई, युद्ध जुरे यमहूँ किन होई।
महालक्ष्मी धर अवतारा, सब विधि करत पाप को छारा।
सीता राम पुनीता गायो, भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो।
घट सों प्रकट भई सो आई, जाको देखत चन्द्र लजाई।
सो तुमरे नित पाँव पलोटत, नवों निद्धि चरणन में लोटत।
सिद्धि अठारह मंगलकारी, सो तुम पर जावै बलिहारी।
औरहु जो अनेक प्रभुताई, सो सीतापति तुमहिं बनाई।
इच्छा ते कोटिन संसारा, रचत न लागत पल की वारा।
जो तुम्हरे चरणन चित लावै, ताको मुक्ति अवसि हो जावै।
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा, निर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा।
सत्य सत्य सत्यव्रत स्वामी, सत्य सनातन अंतर्यामी।
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै, सो निश्चय चारों फल पावै।
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं, तुमने भक्तिहिं सब सिद्धि दीन्हीं।
सुनहु राम तुम तात हमारे, तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे।
तुमहिं देव कुल देव हमारे, तुम गुरु देव प्राण के प्यारे।
जो कुछ हो सो तुमहिं राजा, जय जय जय प्रभु राखो लाजा।
रामा आत्मा पोषण हारे, जय जय जय दशरथ के दुलारे।
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा, नमो नमो जय जगपति भूपा।
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा, नाम तुम्हार हरत संतापा।
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया, बजी दुन्दुभी शंख बजाया।
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन, तुमहिं हो हमरे तन मन धन।
याको पाठ करे जो कोई, ज्ञान प्रकट ताके उर होई।
।। चौपाई समाप्त ।।
श्री राम चालीसा में अत्यधिक जोड़ा गया भाग:
आवागमन मिटै तिहिं केरा, सत्य वचन माने शिव मेरा।
और आस मन में जो होई, मनवांछित फल पावे सोई।
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावैं, तुलसी दल अरु फूल चढ़ावैं।
साग पात्र सो भोग लगावैं, सो नर सकल सिद्धता पावैं।
अन्त समय रघुवर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई।
श्री हरिदास कहै अरु गावै, सो बैकुण्ठ धाम को जावैं।
।। दोहा ।।
सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय।।
राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)





