एकादशी पर इस वजह से नहीं खाया जाता चावल, मन हो सकता है चंचल! जानें यहां

एकादशी के दिन दान का अधिक महत्व है, जिसे ज्योतिष शास्त्र में भी काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। इस अवसर पर जरूरतमंदों के बीच समान बांटने पर शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

Sanjucta Pandit
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Amalaki Ekadashi 2025 : हिंदू धर्म में एकादशी बहुत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को मनाया जाता है। इस तरह साल भर में कुल 24 एकादशी का व्रत रखा जाता है। वहीं, यदि अधिक मास पड़ जाए, तो इसकी संख्या 26 हो जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस व्रत को करने से आध्यात्मिक और मानसिक शांति मिलती है। साथ ही पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, माता लक्ष्मी की विशेष कृपा से धन दौलत की कभी कोई कमी नहीं होती।

वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की आमला की एकादशी 9 मार्च को सुबह 07:45 पर शुरू होगी। जिसका समापन अगले दिन यानी 10 मार्च को सुबह 7:44 पर होगा। ऐसे में 10 मार्च को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

नहीं खाया जाता है चावल

ज्योतिष शास्त्रों में इसे सभी व्रत में श्रेष्ठ माना गया है। इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे एकादशी पर चावल नहीं खाया जाता है।

सुख-शांति हो जाती है भंग

विष्णु पुराण के अनुसार, एकादशी पर चावल खाने से घर में दरिद्रता आती है। नकारात्मकता आकर्षित होती हैं। घर की सुख-शांति भंग हो जाती है। व्यक्ति का पुण्य समाप्त हो जाता है, क्योंकि चावल को देवताओं का भोजन का कहा जाता है। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि एकादशी तिथि पर चावल का सेवन न करें। इससे उनके प्रति सम्मान प्रकट होगा।

अन्य पौराणिक कथा

इसके अलावा, एक अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार, जगत जननी के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था। इसके बाद उनके आंसर धरती पर समा गए थे। उस दिन एकादशी थी। इसके बाद वह चावल और जौ के रूप में उत्पन्न हुए, तब से ही लोग इस दिन का चावल का सेवन नहीं करते हैं।

ऐसे करें पूजा

  • इस दिन सुबह उठकर स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या मूर्ति को एक चौकी पर साफ करके स्थापित करें।
  • अब भगवान को पुष्प अर्पित करें।
  • इसके बाद विधिपूर्वक पूजा-अर्चना कर विष्णु जी की आरती करें।
  • फिर पूरे परिवार में उनका प्रसाद बांटे।
  • इसी प्रकार शाम को भी उनकी साफ वस्त्र धारण करके पूजा अर्चना करें।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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