आज के दौर में ज़्यादातर लोग किसी न किसी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। कई बार मेहनत के बाद भी कर्ज से पीछा नहीं छूटता और जीवन तनावपूर्ण हो जाता है। ऐसे में धर्म और आस्था की राह एक उम्मीद बनकर सामने आती है। हिंदू धर्म में मंगल देव को कर्ज मुक्ति और साहस का कारक माना गया है। उन्हीं की कृपा पाने के लिए ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ सबसे प्रभावी उपाय माना गया है।
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र (Rinmochak Mangal Stotra) का पाठ करने से न केवल पुराने कर्ज खत्म होते हैं, बल्कि जीवन में स्थिरता, आत्मबल और आर्थिक सुधार भी महसूस होता है। मंगलवार और शनिवार को इसका पाठ करना बेहद शुभ होता है। यह उपाय आस्था के साथ किया जाए, तो इसके प्रभाव चौंकाने वाले हो सकते हैं।

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का महत्व और लाभ
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र में मंगल देव के 21 नामों का वर्णन है, जो कर्ज मुक्ति और समृद्धि के प्रतीक हैं। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को न केवल कर्ज से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है। मंगल देव की कृपा से रोग, शत्रु और अन्य बाधाएं दूर होती हैं।
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पाठ की विधि
इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन चुनें। स्नान करके स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को साफ करें। लाल कपड़े पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें और दीप जलाएं। इसके बाद श्रद्धा पूर्वक ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें। पाठ के बाद हनुमान जी को गुड़ और चने का भोग लगाएं।
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के 21 नाम
इस स्तोत्र में मंगल देव के 21 नामों का उल्लेख है, जैसे: मंगल, भूमिपुत्र, ऋणहर्ता, धनप्रद, स्थिरासन, महाकाय, सर्वकर्मावरोधक, लोहित, लोहितांग, सामगानां कृपाकर, धरात्मज, कुज, भौम, भूतिद, भूमिनंदन, अंगारक, यम, सर्वरोगापहारक, वृष्टिकर्ता, वृष्टिहर्ता और सर्वकामफलप्रद। इन नामों का जप विशेष रूप से मंगलवार को करना चाहिए। श्रद्धा और विश्वास के साथ इन नामों का उच्चारण करने से मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त होती है, और व्यक्ति को सभी प्रकार के ऋणों से मुक्ति मिलती है।
||ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पाठ||
“मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।”
“स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।।”
“लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।”
“धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।।”
“अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।”
“व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।।”
“एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।”
“ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।”
“धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।”
“कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्।।”
“स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।”
“न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।”
“अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।”
“त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।।”
“ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।”
“भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।।”
“अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।”
“तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्।।”
“विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।।”
“तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।”
“पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।”
“ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।।”
“एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।”
“महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा।।”
“।। इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।”
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।