सनातन धर्म में पितृ पक्ष का बहुत ही ज्यादा महत्व है, इस दौरान पितरों की पूजा की जाती है। यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष से प्रारंभ होता है, जो कि 15 दिनों तक चलता है। इस दौरान कुछ स्थानों पर पिंडदान के लिए लोग पहुंचते हैं। बता दें कि पितृ पक्ष के दौरान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए लोग श्रद्धा और दान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितृ धरती लोक पर आते हैं और सभी कष्टों को दूर करते हैं। इन दिनों कुछ खास नियम कानून का पालन करना पड़ता है, जिससे उनके पितरों की आत्मा को शांति मिल सके।
इस दौरान सर्व पितृ अमावस्या का काफी अधिक महत्व है। इस खास मौके पर बहुत सारी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। पितृपक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या के दिन ही होगा।
कब शुरू होगा पितृ पक्ष
सबसे पहले हम आपको यह बता दें कि वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद महीने की पूर्णिमा तिथि 7 सितंबर को देर रात 1:41 पर शुरू हो रही है, जिसका समापन 7 सितंबर को ही रात 11:38 पर होगा। ऐसे में रविवार के दिन ही पितृ पक्ष की शुरुआत होगी और इसकी समाप्ति पितृ अमावस्या यानी 21 सितंबर को होगी।
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। बहुत सारे जातक ऐसे होते हैं, जिन्हें उनके पितृ की मृत्यु की तिथि का नहीं पता होता और किसी कारण बस उनका श्राद्ध भी नहीं हो पाया है, तो इस दिन वह अपने पितरों को मोक्ष प्रदान करने के लिए पूजा अर्चना कर सकते हैं। सर्व पितृ अमावस्या का अर्थ सभी पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाली अमावस्या होता है, जो बेहद ही खास माना गया है। यह उन लोगों के लिए है, जिन्हें उनके पूर्वजों के श्राद्ध का समय नहीं मालूम है, तो वह इस दिन सभी प्रकार के नियम और कानून का पालन कर सकते हैं और अपने पितृ की आत्मा को शांति दिला सकते हैं।
जानें तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन महीने की अमावस तिथि की शुरुआत 21 सितंबर को रात 12:16 पर होगी, जिसका समापन अगले दिन यानी 22 सितंबर को देर रात 1:00 करते 23 मिनट पर होगा। ऐसे में सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर को मनाई जाएगी।
ये लोग करें पालन
- किसी कारण बस यदि आप अपने पितरों की तिथि पर श्रद्धा नहीं कर पाए हैं या फिर आपको उनकी मृत्यु तिथि नहीं पता है, तो आप सर्व पितृ अमावस्या पर सभी कम को कर सकते हैं।
- जिनके पितृ सन्यासी या फिर साधु थे, जिनकी तिथि सहित तौर पर मालूम नहीं है, उनका श्राद्ध भी इसी दिन किया जाता है।
- इस दिन श्राद्ध कर्म करने से पितरों को आत्मा की शांति मिलती है। साथ ही पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है।
नियमों का करें पालन
पितृ तर्पण और श्राद्ध को लेकर हिंदू धर्म में बहुत सारे नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना आवश्यक माना जाता है। इनमें सही तिथि, ब्राह्मण भोजन, तर्पण, पवित्रता, दान और पवित्र स्थान शामिल हैं। ऐसा कहा जाता है कि श्राद्ध हमेशा पितरों की मृत्यु तिथि पर ही करना चाहिए। श्रद्धा के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान-दक्षिणा देना महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। तर्पण के लिए पितृ पक्ष के दौरान हर दिन जल, तिल और कुशा से पितरों का तर्पण करें। घर में सात्विक भोजन ही बनना चाहिए। मांस-मछली सहित तामसिक भोजन करने से बचें। पितृ पक्ष के दौरान जरूरतमंदों को वस्त्र, कंबल, चप्पल, किताब आदि का दान करें। इससे आपके पूर्वज खुश हो जाएंगे।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)





