इस मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन से मिलता है सभी तीर्थों का धर्मलाभ, ऐसी है मान्यता

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Sawan 2023

Sawan 2023 : सावन का महीना चल रहा है और इस पवित्र महीने में बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त प्राचीन मंदिरों में जाते हैं। वहीं आज मलमास यानी अधिक मास का आखरी दिन है। ऐसे में मंदिरों में सबसे ज्यादा भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है। इस दिन कई भक्तों मंदिरों में उपाय करने के लिए भी जा रहे हैं।

आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जाकर सभी तीर्थों का धर्मलाभ लिया जा सकता है। यह मंदिर उज्जैन में स्थित है। ये कुंडेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर की महिमा अत्यंत निराली है।

Sawan 2023 : सांदीपनि आश्रम में मौजूद है मंदिर

आपको बता दे, भोलेनाथ का ये मंदिर भगवान श्री कृष्ण की पाठशाला यानी सांदीपनि आश्रम में स्थित है। इस मंदिर में भोलेनाथ का काले रंग का शिवलिंग है। ये बेहद चमत्कारी है। यहां दूर-दूर से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं। खास बात ये है कि इस मंदिर में शिवलिंग के साथ शिलालेख आज भी स्थित है।

यहीं पर भगवान श्री कृष्ण, सुदामा और बलराम ने अध्ययन किया था। इसके अलावा और भी कई भगवान की मूर्ति यहां विराजमान है। कहा जाता है कि इस मंदिर में भक्त सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर जो भी फल मांगता है उसे प्राप्त होता है। इस मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है।

बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के पास ही एक कुंड भी मौजूद है जिसे गोमती कुंड के नाम से जाना जाता है। यहीं के जल से महादेव का पूजन अर्चन व जलाभिषेक किया जाता है और भगवान कृष्ण ने भी यही के जल से उनका अभिषेक किया था।

ऐसी है मान्यता

कहा जाता है कि भगवान शिव के ही गण कुंड को यहां माता पार्वती ने श्राप दिया था। जिसके बाद श्राप से मुक्ति पाने के लिए कुंड ने भगवान शिव की आराधना की। इतना ही नहीं आराधना के बाद कुंड को श्राप से मुक्ति मिली।

दरअसल, भगवान शिव मां पार्वती की रक्षा के लिए गण कुंड और नंदी को छोड़ कर गए थे। ऐसे में जब शिव जी काफी दिनों तक नहीं आए थे तो माता ने गण कुंड को आदेश दिया है कि भगवान शिव को ढूंढ के आओ लेकिन वह नहीं गए क्योंकि शिव जी ने कुंड को माता की रक्षा का आदेश दिया था।

ऐसे में माता पार्वती के आदेशों की अव्हेलना जब गण ने की तो माता पार्वती क्रोधित हो गई और उन्होंने कुंड को मनुष्य योनि में जाने का श्रााप दे डाला। जिसके बाद उन्होंने श्राप से मुक्ति के लिए काफी ज्यादा निवेदन किया। ऐसे में कुंड को उज्जैन में ही स्थित शिवलिंग का पूजन अर्चन करने को कहा था। उसके बाद ही कुंड को श्राप से मुक्ति मिली।


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Ayushi Jain

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