सावन का महीना (Sawan 2025) भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान शिव भक्त व्रत रखते हैं, रुद्राभिषेक करते हैं और विशेष मंत्रों व स्तोत्रों का पाठ कर भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। लेकिन द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से प्रभावशाली माना गया है। यह स्तोत्र स्वयं आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है और इसमें भगवान शिव के बारह प्रमुख ज्योतिर्लिंगों की स्तुति की गई है।
इस स्तोत्र के माध्यम से शिवभक्त प्रतिदिन सभी ज्योतिर्लिंगों की पूजा कर सकते हैं, भले ही वे किसी एक स्थान पर न जा सकें। यह स्तोत्र भावनात्मक रूप से हमें शिव से जोड़ता है और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। साथ ही, जो भक्त सावन में इसका नियमित पाठ करते हैं, उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
स्तोत्र का प्रभाव और आध्यात्मिक शक्ति
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र में भगवान शिव के उन 12 स्वरूपों का वर्णन है, जो देशभर में अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं। यह स्तोत्र पढ़ते समय हम उन्हीं स्वरूपों की मानसिक रूप से पूजा करते हैं, जिससे आत्मा को शुद्धि मिलती है। इस पाठ से मानसिक तनाव कम होता है, घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और कार्यों में सफलता मिलती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्तोत्र मंत्रिक प्रभाव से युक्त है, जो हमारी आंतरिक चेतना को जाग्रत करता है। सावन में शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए यह पाठ रामबाण की तरह कार्य करता है।
किन 12 ज्योतिर्लिंगों की होती है स्तुति?
सोमनाथ – गुजरात
मल्लिकार्जुन – आंध्रप्रदेश
महाकालेश्वर – उज्जैन, मध्यप्रदेश
ओंकारेश्वर – मध्यप्रदेश
केदारनाथ – उत्तराखंड
भीमाशंकर – महाराष्ट्र
काशी विश्वनाथ – वाराणसी, उत्तरप्रदेश
त्र्यंबकेश्वर – नासिक, महाराष्ट्र
वैद्यनाथ – झारखंड
नागेश्वर – गुजरात
रामेश्वर – तमिलनाडु
घृष्णेश्वर – महाराष्ट्र
इन सभी ज्योतिर्लिंगों की स्तुति करते समय श्रद्धा, भक्ति और विश्वास बनाए रखना जरूरी है। पाठ करने वाला व्यक्ति कहीं भी हो, वह इन सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त कर सकता है।
सावन में इस स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करें?
सावन 2025 में यह स्तोत्र प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान करके और साफ वस्त्र पहनकर पढ़ा जाना चाहिए। अगर संभव हो, तो शिवलिंग के समक्ष बैठकर दीपक जलाएं और शांत मन से पाठ करें।
स्त्रोत का पाठ निम्न नियमों के अनुसार करें
- शिवलिंग पर जल अर्पण करने के बाद ही पाठ शुरू करें
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र के साथ प्रारंभ करें
- पाठ के बाद शिव चालीसा या आरती करें
- भगवान शिव से अपने दोषों के लिए क्षमा मांगे
- अगर आप व्यस्त दिनचर्या के कारण मंदिर नहीं जा सकते, तो घर पर ही शिवलिंग या उनकी तस्वीर के सामने पाठ कर सकते हैं।





