आज हिन्दू धर्म में शीतला अष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। शीतला अष्टमी जिसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म का यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसकी तैयारियां एक दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। यह त्योहार होली के आठ दिन बाद चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इससे दिन माँ शीतला की पूजा की जाती है। जिन्हें स्वास्थ्य और सुख समृद्धि की देवी माना जाता है।
इसे दिन बासी भोजन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, एक दिन पहले ही पूजा का और घर परिवार वाले लोगों का भोजन बना लिया जाता है। सुबह जल्दी उठकर महिलाएँ शीतला माता की पूजा करने के लिए मंदिर जाती है और एक दिन पहले बनाया हुआ भोजन भोग के रूप में ले जाती है। बहुत लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आख़िर शीतला सप्तमी के दिन ठंडा बासा भोजन क्यों किया जाता है। इससे दिन घर में भोजन क्यों नहीं बनाया जाता है।

कब है शीतला अष्टमी ? (Sheetala Ashtami)
इस साल 2025 में शीतला अष्टमी का त्योहार शुक्रवार 21 मार्च को मनाया जा रहा है। इस त्योहार को लेकर कई मान्यताएं हैं, कहा जाता है कि इस दिन शीतला माता की पूजा अर्चना करने से, व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है, रोगों से मुक्ति मिलती है, घर में सुख समृद्धि का आगमन होता है, परिवार के लोगों के बीच भी एकता बनी रहती है।
शीतला सअष्टमी मी की पूजा विधि
- इसके तीन प्रमुख औरत में उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
- एक दिन पहले ही शीतला माता का भोग तैयार कर लेना चाहिए साथ ही साथ घर परिवार का भोजन भी एक दिन पहले ही तैयार करना चाहिए।
- शीतला माता के मंदिर में जाकर, शीतला माता के आस पास साफ़ सफ़ाई करें।
- पूजा की सामग्री में रोली, अक्षत, मेहंदी, हल्दी, फूल, वस्त्र आदि शामिल करें।
- बासी भोजन का भोग लगाएं, भोग में पूड़ी, दही, पुआ, मठरी, बाजरा, मीठे, चावल आदि ज़रूर शामिल करें।
- पूजा सम्पन्न करने के बाद शीतला माता की कथा का पाठ करें और उनकी आरती करें।
शीतला अष्टमी के दिन क्यों खाया जाता है बासी खाना?
शीतला अष्टमी के दिन बासी खाना खाने और माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने की परम्परा काफ़ी पुरानी है। इस परंपरा के पीछे दो मुख्य वजहें बतायी जाती है, पहली धार्मिक और दूसरी स्वास्थ्य से जुड़ी हुई।
धर्म से जुड़ी हुई मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि माता शीतला को ठंडा और बासी भोजन पसंद है। जब हम माता शीतला को ठंडे और बासी भोजन का भोग लगाते हैं तो माता अत्यंत प्रसन्न होती है। यही कारण है कि इस दिन बासी भोजन खाने और बासी भोजन का भोग लगाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है।
स्वास्थ्य से जुड़ी भी मान्यता
इस परंपरा का एक और बड़ा कारण स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। शीतला सप्तमी का त्योहार गर्मी के मौसम में आता है, यह समय एक ऐसा समय होता है जब मौसम में कई तरह के बदलाव नज़र आते हैं। इसी समय बीमारियां, ख़ास तौर पर चेचक खसरा और संक्रामक बीमारियां फैलने का ख़तरा बढ़ जाता है। बासी खाना खाने से शरीर की इम्युनिटी मज़बूत होती है। बासी खाने में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर को इन बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।