Sat, Dec 27, 2025

शीतला अष्टमी आज, मां को चढ़ाएं उनका प्रिय भोग, बरसेगी कृपा

Written by:Sanjucta Pandit
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इस दिन बासी भोजन खाने की परंपरा होती है। इस भोजन को खाने से पेट से संबंधित सारी बीमारियों से बचा जा सकता है। इस दिन घरों में ताजा भोजन नहीं बनाया जाता।
शीतला अष्टमी आज, मां को चढ़ाएं उनका प्रिय भोग, बरसेगी कृपा

सनातन धर्म में शीतला अष्टमी (Sheetla Astami) महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो कि उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन देवी शीतला की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इनकी पूजा करने से जीवन में शीतलता और शांति आती है। यह त्योहार होली के बाद आने वाली अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसे बसोड़ा या बासोड़ा के नाम से भी जाना जाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शीतला अष्टमी 22 मार्च को मनाई जा रही है। इस दिन विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना करने के साथ ही माता को उनका प्रिय भोग लगाने से उनकी कृपा बरसती है।

पूजा समय

  • अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक

ऐसे करें पूजा

  • इस दिन सुबह उठकर स्नान कर लें।
  • इसके बाद घर के मंदिर या फिर शीतला माता के मंदिर में माता की प्रतिमा की पूजा करें।
  • उन्हें हल्दी, चंदन, अक्षत, फूल, माला, धूप और दीप अर्पित करें।
  • इसके बाद शीतला माता की कथा सुनें।
  • पूजा के अंत में माता की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।

चढ़ाएं ये भोग

इस दिन बासी भोजन खाने की परंपरा होती है। इस भोजन को खाने से पेट से संबंधित सारी बीमारियों से बचा जा सकता है। इस दिन घरों में ताजा भोजन नहीं बनाया जाता, बल्कि एक दिन पहले बना भजन माता को अर्पित किया जाता है। आप भोग में दही, चावल, रोटी, मिठाई और मीठी पूरी जैसी चीजों को प्रसाद के तौर पर चढ़ा सकते हैं। देवी शीतला को रोग से बचाने वाली शक्ति के रूप में भी पूजा जाता है।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार किसी गांव में माता शीतला वृद्ध रूप में आई और उन्होंने लोगों से भजन मांगा, लेकिन अधिकतर लोगों ने उन्हें अनदेखा कर दिया। फिर एक गरीब बूढी महिला ने उन्हें प्रेम पूर्वक बासी भोजन परोसा, जिससे प्रसन्न होकर माता ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा कि उसके घर में कभी कोई रोग नहीं आएगा। वहीं, जिन लोगों ने माता को भोजन नहीं दिया उनके घरों में बीमारियां फैल गई। तब सभी मिलकर माता को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा अर्चना करने लगे और उन्हें बासी भोजन चढ़ने लगे। तब से ही शीतला माता की पूजा की जाती है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)