शिव महापुराण (Shiv Mahapuran) एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें भगवान शिव से जुड़ी कथाओं का उल्लेख किया गया है। भगवान शिव ने कब कहां और कैसे अपनी लीला दिखाई इस बात को अगर आप जानना चाहते हैं तो शिव महापुराण की कथा सुन सकते हैं। यह कथा केवल भोलेनाथ की कथाएं ही नहीं कुछ उपाय भी बताती है।
इस ग्रंथ में व्यक्ति की हर मुश्किल का समाधान दिया गया है। वैसे तो यह कहां जाता है कि भोलेनाथ केवल एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन इसके अलावा उनकी पूजन पाठ में कुछ विशेष नियमों का ध्यान रखा जाए तो हमें फायदा हो सकता है। पहले आज हम आपको कुछ ऐसे ही उपाय बताते हैं जो भरपूर लाभ देने का काम करेंगे।
शिव भक्ति का तरीका (Shiv Mahapuran)
हर व्यक्ति का भगवान की भक्ति करने का अपना तरीका होता है। शिव भक्ति से बढ़कर संसार में दूसरी कोई चीज नहीं। जो कल्याण व्यक्ति का शिव भक्ति करने से होता है, वो अपरंपार है। ऐसा कहा जाता है जो विधिपूर्वक शिव की भक्ति करता है वह अपने जीवन में धन संपत्ति और खुशहाली हासिल करता है।
भोलेनाथ के व्रत
वैसे तो पूजन मात्र से ही भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन शिव महापुराण के मुताबिक जो व्यक्ति शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का व्रत रखता है और भक्ति भाव से पूजन करता है उसे विशेष कृपा की प्राप्ति होती है। जब यह व्रत रखें तब फलाहार खाकर रहे। शिवरात्रि के दिन रात्रि कल की पूजा विशेष मानी गई है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ का अग्नि स्तंभ लिंग पृथ्वी पर पहली बार प्रकट हुआ था। इसी के बाद शिवलिंग के रूप में उनकी पूजन आरंभ हुई।
मंत्र और जाप
शिव जी के मंत्रों का भी विशेष महत्व बताया गया। ओम नमः शिवाय पांच अक्षर का एक ऐसा मंत्र है जिसके अगर 5 करोड़ जॉब कर लिए जाएं तो भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को शिव लोक में स्थान मिलता है। जो व्यक्ति इन मेट्रो का जाप करता है उसे भोलेनाथ के साथ ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र की कृपा भी प्राप्त होती है। ऐसे लोग धरती के तमाम सुख प्राप्त कर लेते हैं।
पूजन करते समय ध्यान रखें ये चीजें
शिव पुराण में भोलेनाथ की पूजन के समय 6 चीजों का ध्यान रखने का विशेष महत्व बताया गया है। भोलेनाथ का अभिषेक व्यक्ति को आत्म शुद्धि प्रदान करती है। जो व्यक्ति ने विद्या अर्पित करता है उसे संतुष्टि और आयु की प्राप्ति होती है दीप दिखाने से ज्ञान मिलता है धूप दिखाने से धन लाभ की प्राप्ति होती है और पान अर्पित करने से सांसारिक भोग प्राप्त होते हैं।
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