Gita Updesh : श्रीमद्भगवद्गीता धार्मिक ग्रंथ है। जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध के पहले दिन उपदेश देते हैं। इसमें ज्ञान, भक्ति और कर्म के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन दिया गया है। बता दें कि यह 18 अध्यायों में विभाजित है और कुल मिलाकर 700 श्लोक हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के मन में चल रहे संदेह को देखते हुए उपदेश के माध्यम से उन्हें समझाने का प्रयास किया था। इसमें ज्ञान, कर्म और भक्ति के सिद्धांतों का वर्णन किया गया है। जिसके अनुसार, एक व्यक्ति को अपने कर्मों को समर्पित करना चाहिए और उसके फल की आकांक्षा नहीं करनी चाहिए।
राजा के रूप में लिया जन्म
वैसे हम सभी यही जानते हैं कि भागवत गीता का ज्ञान लेने वाले पहले व्यक्ति अर्जुन ही थे, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गीता का उपदेश अर्जुन से पहले सूर्य देव को मिला था। जब उन्होंने धरती पर राजा के रूप में जन्म लिया था। जी हां, भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह उपदेश देते हुए बताया था कि वह इससे पहले सूर्य देव को भी गीता का ज्ञान दे चुके हैं। जिसे सुनते ही अर्जुन आश्चर्यचकित हो गए। तब भगवान ने बताया कि सूर्य देव ऐसे देवता है, जिन्होंने श्रीमद् भागवत गीता का उपदेश पहली बार सुना था। श्री कृष्ण ने बताया कि तुम्हारे और मेरे पहले बहुत से जन्म हो चुके हैं, लेकिन तुम उन जनों के बारे में नहीं जानते। हालांकि, मैं मेरे धरती पर अवतार लेने की वजह और उन जन्मों के बारे में अच्छे से जानता हूं।
45 मिनट में दिया था उपदेश
वहीं, संजय अर्जुन के अलावा भगवान श्री कृष्ण के दिव्य रूप को देखने वाले दूसरे ऐसे व्यक्ति थे। जिन्हें भगवान का असली रूप देखने का मौका मिला था। बता दें कि महज 45 मिनट में भगवान ने भगवत गीता का संपूर्ण ज्ञान अर्जुन को दिया था। उस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी।
धृतराष्ट्र ने भी सुना था ज्ञान
इसके अलावा, हम सभी जानते हैं कि जब श्री कृष्णा कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे तो अर्जुन के अलावा वह उपदेश संजय अपनी दिव्य दृष्टि से देख रहे थे। साथ ही वह राजा राष्ट्र को भी रणभूमि में चल रही गतिविधियों के बारे में पल-पल की खबर बता रहे थे। तब उन्होंने गीता का ज्ञान भी धृतराष्ट्र को सुनाया था।
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