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Sat, Dec 20, 2025

आज है स्कंद षष्ठी, पढ़ें ये पौराणिक व्रत कथा और बनाएं हर काम को सफल

Written by:Bhawna Choubey
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हिंदू धर्म में स्कंद षष्ठी व्रत का विशेष महत्व, कथा के बिना इस व्रत को अधूरा माना जाता है। यह दिन भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है।
आज है स्कंद षष्ठी, पढ़ें ये पौराणिक व्रत कथा और बनाएं हर काम को सफल

Skanda Sashthi 2025: हिंदू धर्म में आज स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जा रहा है, यह दिन भगवान शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। आज के दिन भगवान कार्तिकेय की विशेष रूप से पूजा और व्रत करने से भक्तों को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

जो भी व्यक्ति आज के दिन व्रत रखता है, उसे सभी रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। अगर आप स्कंद षष्ठी का व्रत रख रही हैं, तो इस कथा का पाठ अवश्य करें, इस कथा के बिना व्रत को अधूरा माना जाता है। यह कथा भगवान कार्तिकेय की देवता और भक्तों पर उनकी कृपा का महत्व दर्शाती है।

स्कंद षष्ठी 2025 (Skanda Sashthi 2025)

हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2025 में स्कंद षष्ठी का व्रत 5 जनवरी को रखा जाएगा। इस तिथि की शुरुआत 4 जनवरी को रात 10 बजे से शुरू हो गई है, और इसका समापन 5 जनवरी रात 8 बजकर 15 मिनट तक पर होगा।

स्कंद षष्ठी व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती के आत्मदाह और भगवान शिव के वैराग्य धारण करने के बाद सृष्टि से शक्ति लुप्त हो गई थी। यह वही समय था जब दानव तारकासुर ने देवताओं के लोक में आतंक मचाया और उन्हें परेशान कर दिया।

देवताओं ने ब्रह्मा जी से इस समस्या का समाधान मांगा, तब ब्रह्मा जी ने बताया कि तारकासुर का वध केवल भगवान शिव के पुत्र के हाथों से ही संभव हो सकता है। इसके बाद इंद्र समेत सभी देवताओं ने भगवान शिव को समाधि से जगाने का प्रयास किया। जिसमें कामदेव ने उनकी सहायता की।

बताया जाता है कि कामदेव की यह कोशिश शिवजी के क्रोध का कारण बनी और उन्होंने अपनी तीसरी आंख से कामदेव को भस्म कर दिया। इसके बाद माता पार्वती की तपस्या और शिवजी की परीक्षा के बाद दोनों का विवाह हुआ। इसके बाद उनके पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ, जिन्होंने तारकासुर का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्त किया। कहते हैं कि भगवान कार्तिकेय का जन्म स्कंद षष्ठी के दिन हुआ था, इसलिए जीवन की तमाम परेशानियों को दूर करने के लिए भक्तजन इस दिन उनकी पूजा और व्रत रखते हैं।