Surya /Chandra Grahan 2025: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों नक्षत्रों की तरह ग्रहण का बड़ा महत्व माना जाता है , जब भी कोई ग्रहण लगता है तो उस घटना को खगोलीय घटनाओं में एक माना जाता है। साल 2025 की तरह 2026 में दो सूर्य और दो चंद्र ग्रहण लगेंगे, इसके साथ ही अगले साल दुर्लभ फुल ब्लड मून का भी नजारा दिखेगा। 2026 साल का पहला सूर्य ग्रहण फरवरी में तो चन्द्र ग्रहण मार्च में लगेगा । दूसरा सूर्य व चन्द्र ग्रहण अगस्त में लगेगा।बता दे कि 2025 में साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च और दूसरा 21 सितंबर को लगा था लेकिन भारत में दिखाई नहीं दिया। साल का पहला चन्द्र ग्रहण 14 मार्च और दूसरा 7 सितंबर को लगा था।इसमें दूसरा चन्द्र ग्रहण भारत में दिखाई दिया था।
2026 में कब लगेगा चन्द्र व सूर्य ग्रहण?
- जानकारी के अनुसार , पहला चंद्र ग्रहण फाल्गुन पूर्णिमा मंगलवार 3 मार्च 2026 को लगेगा।यह खण्डग्रास चंद्र ग्रहण होगा।भारतीय समयानुसार यह ग्रहण शाम 6 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 46 मिनट पर खत्म होगा।इसकी अवधि करीब 20 मिनट 28 सेकंड की होगी। यह ग्रहण भारत के साथ साथ एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका जैसे कई देशों में दिखाई देगा। चूंकि भारत में यह ग्रहण दिखेगा, इसलिए यहां इसका सूतक काल भी मान्य होगा।सूतक सुबह 9 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर शाम 6 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
- साल का दूसरा चंद्र ग्रहण शुक्रवार 28 अगस्त 2026 को लगेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, लेकिन भारत में यह नजर नहीं आएगा, इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा।यह ग्रहण मुख्य रूप से उत्तर और दक्षिण अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। चंद्र ग्रहण लगने के 9 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है।
- साल का पहला सूर्य ग्रहण 17 फरवरी (मंगलवार) को लगेगा। यह एक कंकण सूर्य ग्रहण होगा। हालांकि यह सूर्य ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन जिम्बाब्वे, दक्षिण अफ्रीका, जाम्बिया, मोजम्बीक, मॉरीशस, अंटार्कटिका सहित तन्जानिया और दक्षिण अमेरिकी देशों में दिखाई देगा। साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 12 अगस्त, 2026 को लगेगा। श्रावण मास की हरियाली अमावस्या को यह ग्रहण लगेगा।भारत को छोड़कर उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप आर्कटिक, ग्रीनलैंड, आइसलैंड, स्पेन में दिखाई देगा।
कब लगता है Solar Eclipse /Lunar Eclipse?
ज्योतिष के मुताबिक, जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूरज की रोशनी धरती तक पहुंच नहीं पाती है, तो सूर्य ग्रहण लगता है। आंशिक सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक लाइन में सीधे नहीं होते। इस कारण चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढक पाता है।
चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच आ जाती है। इस दौरान चांद धरती की छाया से पूरी तरह से छुप जाता है।पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीध में होते हैं। इस दौरान जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह हमें काला नजर आता है और इसे चंद्रग्रहण कहा जाता है।
ग्रहण में क्या करें और क्या नहीं?
- ग्रहण के सूतक काल में पूजा पाठ बंद कर देना चाहिए।
- ग्रहण के अवधि के दौरान घर के पूजा वाले स्थान को पर्दे से ढक दें।
- ग्रहण में भूलकर भी देवी-देवताओं की पूजा नहीं करना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान खाना-पीना नही चाहिए।
- खाद्य पदार्थों में तुलसी के पत्ते डालकर रखना चाहिए
- ग्रहण की समाप्ति के बाद घर और पूजा स्थल को गंगाजल का छिड़काव करके शुद्ध करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, उन्हें घर से
- बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही ग्रहण देखना चाहिए।
- ग्रहण के सूतक काल में भोजन बनाना, खाना, सोना, बाल काटना, तेल लगाना,
- सिलाई-कढ़ाई करना और चाकू चलाना नहीं चाहिए।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)





