Grahan 2025 : अगले साल कब और कितने लगेंगे सूर्य-चन्द्र ग्रहण? भारत में दिखेगा या नहीं? सूतककाल मान्य होगा या नहीं? जानें डेट और टाइम

सूर्य ग्रहण के दौरान पृथ्वी और सूरज के बीच से जब चंद्रमा गुजरता है तो कुछ वक्त के लिए सूर्य को ढक लेता है। इस दौरान चंद्रमा के बीच में आने से सूर्य की रोशनी सीधे पृथ्वी पर नहीं आ पाती और कुछ जगहों पर अंधेरा छा जाता है।

Pooja Khodani
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surya grahan 2025

Surya /Chandra Grahan 2024: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों नक्षत्रों की तरह ग्रहण का बड़ा महत्व माना जाता है , जब भी कोई ग्रहण लगता है तो उस घटना को खगोलीय घटनाओं में एक माना जाता है। मार्च में साल का पहला चन्द्र ग्रहण और अप्रैल में  सूर्य ग्रहण लगा था और अब सिंतर में साल का दूसरा चन्द्र ग्रहण और अक्टूबर में सूर्य ग्रहण लगने वाला है हालांकि यह ग्रहण भी भारत में नही दिखाई देगा और ना ही इसका सूतककाल मान्य होगा।

इसके बाद कब अब साल 2025 में कितने सूर्य और चन्द्र ग्रहण लगेंगे और कब? क्या वे भारत में दिखाई देंगे, क्या सूतककाल मान्य होगा, 2026 में कब-कब सूर्य ग्रहण लगेगा?आईए विस्तार से जानते है ग्रहण के बारें में इन सभी सवालों को…………

अगले साल लगने वाले सूर्य/चन्द्र ग्रहण की तारीख

  • 29 मार्च 2025: यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। यूरोप, एशिया के कुछ हिस्से, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर, आर्कटिक महासागर में दिखेगा।
  • 21 सितंबर 2025: यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर में दिखेगा।
  • 17 फरवरी 2026: यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जो अंटार्कटिका में दिखेगा। इसके अलावा आंशिक ग्रहण अंटार्कटिका के अन्य हिस्से, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर में दिखाई देगा।
  • 12 अगस्त 2026: यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा जो ग्रीनलैंड, आइसलैंड, स्पेन, रूस और पुर्तगाल के एक छोटे हिस्से में दिखेगा। आंशिक सूर्य ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, अटलांटिक महासागर, आर्कटिक महासागर और प्रशांत महासागर में देखा जा सकेगा।
  • 14 मार्च 2025: अगले साल पूर्ण चंद्रग्रहण या ब्लड मून  को लगेगा। यह ग्रहण अमेरिका, कनाडा और दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप में नजर आएगा। उत्तरी अफ्रीका के पश्चिमी तट पर इसे सुबह के समय देखा जा सकता है।

कब लगता है सूर्य/चन्द्र ग्रहण?

  • ज्योतिष के मुताबिक,  जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूरज की रोशनी धरती तक पहुंच नहीं पाती है। इसे ही सूर्य ग्रहण का नाम दिया गया है।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच आ जाती है। इस दौरान चांद धरती की छाया से पूरी तरह से छुप जाता है।
  • पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीध में होते हैं। इस दौरान जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह हमें काला नजर आता है और इसे चंद्रग्रहण कहा जाता है।ग्रहण लगने के ठीक 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है, जो ग्रहण समाप्त होने के साथ खत्म हो जाता है।

(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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