रामायण में रावण का नाम तो सबने सुना, लेकिन उसकी बेटियों की बातें कम ही सामने आती हैं। कुंभिनी और सुवर्णमछा, ये दो बेटियां, अलग-अलग कहानियों में चमकती हैं, खासकर थाई और मलय रामायण में। सुवर्णमछा की तो बात ही निराली है, उसने हनुमान पर दिल हार दिया और रावण के खिलाफ जाकर उनकी मदद की। ये किस्से रावण के परिवार की अनोखी दुनिया दिखाते हैं, जो सिर्फ बुराई की नहीं, बल्कि कई रंगों की थी।
कुंभिनी, रावण और मंदोदरी की बेटी थी, जो ताकतवर और चालाक थी। सुवर्णमछा, रावण और एक समुद्री रानी की बेटी, पानी की दुनिया की मालकिन मानी जाती थी। थाई रामायण “रामकियेन” में सुवर्णमछा का जिक्र बड़ा मजेदार है। जब हनुमान राम सेतु बना रहे थे, सुवर्णमछा ने अपने साथियों के साथ मिलकर रास्ता रोकने की कोशिश की। लेकिन हनुमान की ताकत और स्मार्टनेस देखकर वह फिदा हो गई। उसने रावण की मर्जी के खिलाफ जाकर हनुमान का साथ दिया। कुछ कहानियों में उनके बेटे मकरध्वज का भी जिक्र है, जो बाद में बड़ा योद्धा बना।

रावण की सच्ची सिपाही
कुंभिनी अपने पिता रावण की तरह ही थी। वह खूबसूरत होने के साथ-साथ जादू और लड़ाई में भी उस्ताद थी। कुछ पुरानी कहानियों में उसे रावण की सेना में राम के खिलाफ लड़ते दिखाया गया है। उसकी जिंदगी में हनुमान से कोई प्यार-व्यार की बात नहीं थी। कुछ कथाओं में बताया जाता है कि उसकी शादी राक्षस राजा मधु से हुई, और फिर वह युद्ध से हट गई। कुंभिनी की कहानी रावण के परिवार की ताकत और वफादारी को दिखाती है। ये बताती है कि रावण का खानदान सिर्फ गलत कामों का नहीं, बल्कि कई अलग-अलग किरदारों का मेल था।
हनुमान के प्यार में डूबी समुद्री रानी!
सुवर्णमछा की कहानी रामायण में एकदम अलग मस्ती लाती है। थाई और मलय कथाओं में उसे आधा इंसान, आधा मछली दिखाया गया है। उसकी खूबसूरती और समुद्री जादू उसे सबसे अलग बनाते थे। राम सेतु बनाते वक्त हनुमान से उसकी टक्कर हुई। पहले उसने सेतु तोड़ने की ठानी, लेकिन हनुमान की बहादुरी और समझदारी देखकर वह पिघल गई। सुवर्णमछा ने अपने दिल की बात कही और रावण के खिलाफ जाकर हनुमान का साथ दिया। कुछ कहानियों में मकरध्वज को उनका बेटा बताया जाता है, जो हनुमान के पसीने से पैदा हुआ और बाद में अहिरावण की सेना में लड़ा।
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