Stotra: सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित रहता है। आज सोमवार है और सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भक्तजन भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हैं साथ ही साथ तरह-तरह के उपाय भी करते हैं। इस दिन कुछ उपाय को करने से और विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से भगवान शंकर और माता पार्वती का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है और बातों को जीवन में सुख समृद्धि मिलती है। अगर आप भी भगवान शंकर और माता पार्वती का आशीर्वाद पाना चाहते हैं और चाहते हैं कि जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानी का आपको सामना न करना पड़े तो पूजा के दौरान आपको प्रत्येक सोमवार के दिन रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। रुद्राष्टकम स्तोत्र भगवान शिव का एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। इस स्तोत्र में भगवान शिव के विभिन्न नामों और उनके गुणों का वर्णन किया गया है। इसी के साथ चले जानते हैं इस स्तोत्र का पाठ कैसे करते हैं और किन-किन चीजों को ध्यान रखना चाहिए।
|| रुद्राष्टकम स्तोत्र ||
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्।।
निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।
करालं महाकालकालं कृपालं ।
गुणागारसंसारपारं नतोऽहम्।।
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं ।
मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा ।
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा।।
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं ।
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं ।
प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि।।
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं ।
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।
त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं ।
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।
कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी ।
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी ।
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी।।
न यावद् उमानाथपादारविन्दं ।
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं ।
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं।।
न जानामि योगं जपं नैव पूजां ।
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।।
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं ।
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो।।
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति।।
रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करने के लाभ क्या क्या लाभ है
- सुख-शांति की प्राप्ति
- मनोकामनाओं की पूर्ति
- कष्टों और बाधाओं से मुक्ति
- स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि
- भगवान शिव की कृपा प्राप्ति
रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करने की विधि
1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. भगवान शिव की प्रतिमा के सामने बैठें।
3. दीप प्रज्वलित करें और धूप-दीप से भगवान शिव की आरती करें।
4. रुद्राष्टकम स्तोत्र का 11, 21, 51 या 108 बार पाठ करें।
5. स्तोत्र का पाठ करते समय ध्यान केंद्रित करें और भगवान शिव का मनन करें।
6. स्तोत्र का पाठ करने के बाद भगवान शिव से प्रार्थना करें।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)