Supermoon Blue Moon 2024: आज का रक्षाबंधन खास होने वाला है, क्योंकि आज 19 अगस्त को एक खगोलीय घटना घटने वाली है। आज पूर्णिमा की रात आसमान में सुपर ब्लू मून दिखाई देगा। यह सुपरमून 2024 का सबसे बड़ा और सबसे चमकीला चांद होगा, जो 19 अगस्त की रात और 20 अगस्त की सुबह तक दिखेगा। अगर आपके पास दूरबीन या टेलिस्कोप हो तो उनका उपयोग कर आप इसका अनुभव कर सकते हैं।
दरअसल, चंद्रमा धरती का चक्कर लगाने के साथ ही धरती के नजदीक और दूर भी होता रहता है।जब चंद्रमा धरती के बेहद करीब होता है तब सुपरमून होता है, ऐसा तक होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के 90 फीसदी से ज्यादा करीब होता है। इस दिन सामान्य पूर्णिमा के मुकाबले सुपरमून 30 फीसदी तक ज्यादा चमकीला और 14 फीसदी तक बड़ा दिखाई देता है। हालांकि ब्ल्यू मून का रंग से कोई संबंध नहीं है। ब्लू मून दो तरह का होता है। मौसमी और मासिक। मौसमी ब्लू मून वह होता है जब एक मौसम में चार पूर्णिमाएं होती हैं।तीसरी पूर्णिमा को ब्ल्यू मून कहते हैं।
जानिए क्या होता है Super Moon
इस घटना की खगोलवैज्ञानिक जानकारी देते हुए नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया किआज रक्षाबंधन की शाम को और अधिक चमकदार बनाने पूर्णिमा का चंद्रमा सुपरमून के रूप मे दिखने जा रहा है । यह आम पूर्णिमा के चंद्रमा से ज्यादा बड़ा और अधिक चमकदार होगा । पृथ्वी के चारों ओर अंडाकार पथ में परिक्रमा करता पूर्णिमा का चंद्रमा पास के बिंदु पर होता है तो चंद्रमा बड़ा और चमकदार दिखता है , इसे सुपरमून कहते हैं । आज चंद्रमा 3 लाख 61 हजार 969 किमी की दूरी पर रहते हुये पृथ्वी से नजदीक होगा ।
इसलिए नाम दिया गया है Blue Moon
सारिका ने बताया कि जब एक पूर्णिमा या एक मौसम में तीन पूर्णिमा होती है तो सुपर ब्लू मून कहा जाता है। सुपरमून तब होता है जब चांद पृथ्वी के सबसे करीब आता है और पूर्णिमा भी होती है, जिससे चांद सामान्य से काफी बड़ा और ज्यादा चमकदार दिखता है।चंद्रमा माह में एक दिन पृथ्वी से सबसे दूर होता है तो इसे अपोजी और एक दिन पास के बिंदु पर आता है तो इसे पेरिजी कहते है । आज के इस सुपरमून को ब्लूमून भी नाम दिया गया है क्योंकि 21 जून से 22 सितम्बर के खगोलीय सीजन में पड़ने वाले चार पूर्णिमा में से यह तीसरी पूर्णिमा का चांद है । ब्लूमून सिर्फ नामरकण है । चांद का रंग तो बाकी पूर्णिमा की ही तरह होगा । आज चंद्रमा सुबह की स्थिति में श्रवण नक्षत्र में स्थित रहेगा । पूर्णिमा के चंद्रमा के नक्षत्र के नाम के आधार पर ही इस महीने का नाम सावन रखा गया है ।
खास जानकारी
- अपोजी लगभग 4 लाख 5 हजार 500 सौ किमी तो पेरिजी लगभग 3 लाख 63 हजार 300 किमी या इससे कम होती है ।
- इस खगोलीय सीजन में 21 जून, 21 जुलाई, 19 अगस्त और 18 सितम्बर को चार पूर्णिमा आ रही हैं ।