2nd Surya/Chandra Grahan 2025: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों और नक्षत्रों की तरह ग्रहण का महत्व माना जाता है ।खास करके धार्मिक दृष्टि से ग्रहण को महत्वपूर्ण माना गया है। साल का पहला चन्द्र ग्रहण 14 मार्च फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर लगा था। 29 मार्च चैत्र अमावस्या के दिन साल का पहला आशिंक सूर्य ग्रहण लगा था।
यह दोनों ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिए और ना ही इनका सूतक काल मान्य हुआ था। अब साल का दूसरा सूर्य व चन्द्र ग्रहण रक्षाबंधन के बाद सितंबर 2025 में लगेगा।हालांकि सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा ऐसे में सूतक काल भी मान्य होगा।

कब लगेगा Surya/Chandra grahan
- साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को लगेगा। ये चंद्र ग्रहण 2024 की ही तरह पितृपक्ष में ही लगेगा।भारतीय समय के अनुसार ,ग्रहण 7 सितंबर को 9:57 मिनट से लेकर 8 सितंबर की रात 12:23 मिनट तक रहेगा। भारत में दिखाई देगा ऐसे में सूतक काल मान्य होगा।भारत के अलावा यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, अमेरिका और अफ्रीका पर भी देखा जा सकेगा।
- साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 अमावस्या को लगेगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। यह भारत को छोड़कर ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर में दिखेगा।यह ग्रहण रात 11 बजे शुरू होगा और सुबह 4 बजे तक चलेगा।भारत में ना दिखने के चलते सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
कब लगता है Chandra/Surya Grahan
- चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच आ जाती है, इस दौरान चांद धरती की छाया से पूरी तरह से छुप जाता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीध में होते हैं। इस दौरान जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह हमें काला नजर आता है और इसे चंद्रग्रहण कहा जाता है।
- आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान सिर्फ चांद का एक भाग पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। चंद्रमा के धरती की तरफ वाले हिस्से पर धरती की छाया काली दिखाई देती है, कटा हिस्सा दिखाई देता है, तो वह इस पर निर्भर करता है कि किस प्रकार सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में हैं।उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान धरती की छाया का हल्का बाहरी भाग चंद्रमा की सतह पर पड़ता है। इस ग्रहण को देखना कुछ मुश्किल होता है।
- जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूरज की रोशनी धरती तक पहुंच नहीं पाती है, तो सूर्य ग्रहण लगता है। जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक लाइन में सीधे नहीं होते। इस कारण चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढक पाता है, वही अन्य सूर्य ग्रहण में लोकेशन के कारण भी आंशिक सूर्य ग्रहण दिखता है।
- वलयाकार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर हो। तब यह पूरी तरह सूर्य को ढक नहीं पाता, जिस कारण हमें सूर्य ग्रहण के दौरान आसमान में एक ‘आग की रिंग’ दिखती है।हाइब्रिड सूर्य ग्रहण को वलयाकार-पूर्ण ग्रहण कहा जाता है। इसमें यह सूर्य को पूरी तरह ढंकता है, लेकिन कुछ हिस्सा खुला रह जाता है।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)