Surya Grahan 2025: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों व नक्षत्रों की तरह ग्रहण का बड़ा महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार ग्रहण लगना अशुभ माना जाता है इसलिए इस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करने की जरूरत होती है।अगर भारत में कोई ग्रहण दिखता है तो सूतक काल माना जाता है, इस दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते है और पूजा-पाठ नहीं किया जाता है।हालांकि ग्रहण खत्म होने के बाद शुद्धिकरण होता है और फिर पूजा पाठ होने लगते है। साल 2025 की तरह 2026 में दो सूर्य ग्रहण लगेंगे। 2025 में साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च और दूसरा 21 सितंबर को लगा था लेकिन दोनों ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिए, ऐसे में सूतककाल भी मान्य नहीं हुआ। 2026 साल का पहला सूर्य ग्रहण फरवरी में लगने वाला है।आईए जानते है ग्रहण का समय तारीख और सूतककाल के बारें में…
2026 में कब लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण
- साल का पहला सूर्य ग्रहण 17 फरवरी (मंगलवार) को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या लगेगा। यह एक कंकण सूर्य ग्रहण होगा। भारतीय समय के अनुसार, 17 फरवरी को दोपहर 3 बजकर 26 मिनट पर लगेगा। लेकिन ये भारत में नजर नहीं आएगा, ऐसे में सूतक काल मान्य नहीं होगा।
- सूर्य ग्रहण में सूतक 12 घंटे पहले शुरू होता है। इस दौरान पूजा-पाठ और शुभ काम नहीं किए जाते है।भारत को छोड़कर यह ग्रहण जिम्बाब्वे, दक्षिण अफ्रीका, जाम्बिया, मोजम्बीक, मॉरीशस, अंटार्कटिका सहित तन्जानिया और दक्षिण अमेरिकी देशों में दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण बेहद अद्भुत होगा, क्योंकि यह एक वलयाकार यानी रिंग ऑफ फायर के रूप में नजर आएगा।
जानिए कब लगता है सूर्य ग्रहण?
- सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन ही लगता है। हर साल 2 से 5 बार सूर्य ग्रहण हो सकते हैं, लेकिन सभी हर देश में नहीं दिखाई देते।ज्योतिष के मुताबिक, जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूरज की रोशनी धरती तक पहुंच नहीं पाती है, तो सूर्य ग्रहण लगता है।
- जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक लाइन में सीधे नहीं होते। इस कारण चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढक पाता है, वही अन्य सूर्य ग्रहण में लोकेशन के कारण भी आंशिक सूर्य ग्रहण दिखता है।
- वलयाकार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर हो। तब यह पूरी तरह सूर्य को ढक नहीं पाता, जिस कारण हमें सूर्य ग्रहण के दौरान आसमान में एक ‘आग की रिंग’ दिखती है।
- हाइब्रिड सूर्य ग्रहण को वलयाकार-पूर्ण ग्रहण कहा जाता है। इसमें यह सूर्य को पूरी तरह ढंकता है, लेकिन कुछ हिस्सा खुला रह जाता है।
ग्रहण में क्या करें और क्या नहीं?
- ग्रहण के सूतक काल में पूजा पाठ बंद कर देना चाहिए।
- ग्रहण के अवधि के दौरान घर के पूजा वाले स्थान को पर्दे से ढक दें।
- ग्रहण में भूलकर भी देवी-देवताओं की पूजा नहीं करना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान खाना-पीना नही चाहिए।
- खाद्य पदार्थों में तुलसी के पत्ते डालकर रखना चाहिए
- ग्रहण की समाप्ति के बाद घर और पूजा स्थल को गंगाजल का छिड़काव करके शुद्ध करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, उन्हें घर से
- बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही ग्रहण देखना चाहिए।
- ग्रहण के सूतक काल में भोजन बनाना, खाना, सोना, बाल काटना, तेल लगाना, सिलाई-कढ़ाई करना और चाकू चलाना नहीं चाहिए।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)





