डेस्क रिपोर्ट। गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल के लिए आज से बंद कर दिए गये। गुरुद्वारे साहब के पट बंद करने से पहले पूरे धार्मिक रीति रिवाज और मर्यादा के साथ रविवार की सुबह 10 बजे सुखमनी साहिब का पाठ प्रारम्भ हुआ और उसके बाद कीर्तन और अरदास के बाद जयकारों की गूंज में पंज प्यारों की अगुवाई में जोशीमठ में तैनात भारतीय सेना के जवानों की देख रेख में गुरु ग्रन्थ साहिब जी को सुखासन स्थान पर बैंड बाजों के साथ ले जाया गाया।
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इस साल 18 सितंबर से हेमकुंड साहिब यात्रा की शुरूआत हुई थी। इस बार यात्रा में 11 हजार श्रद्धालु दर्शन कर पाए। वही रविवार को 1800 श्रद्धालु कपाट बंद होने के समय मौजूद रहे। ट्रस्ट द्वारा सभी का धन्यवाद किया गया है जिन्होंने इस साल यात्रा के संचालन में सहयोग प्रदान किया गया। हेमकुंड साहिब के कपाट हमेशा 25 मई को खोल दिए जाते थे। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते कपाट करीब साढ़े तीन महीने देरी से खोले गए थे। हिमालय में स्थित गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब सिखों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यहाँ पर सिखों के दसवें और अंतिम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन में ध्यान साधना की थी।
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हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे का उल्लेख गुरु गोविंद साहिब की आत्मकथा में किया गया था। एक सर्वे के मुताबिक हेमकुंड साहिब सात पर्वत की चोटी से घिरा हुआ है औऱ समुद्र तल से लगभग 4632 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय पर स्थित है। इसके सात पर्वत चोटी के चट्टान पर एक निशान साहिब सजा हुआ है। कहा जाता है कि एक ऐसा समय था जब कोई भी इंसान इन सात चोटियों पर चढ़ने की कल्पना तक नहीं कर सकता था। लेकिन ये चोटियां गुरु गोविंद साहिब के दर्शन के लिए सिख धर्म के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए खोल दी गई हैं। यहां पर हजारों की तादाद में गुरु गोविंद साहिब के अनुयायी मत्था टेकने के लिए आते हैं। प्रकृति की गोद में बसा यह गुरुद्वारा देश विदेश के पर्यटकों भी अपनी ओर आकर्षित करता है।