Mahakaleshwar temple complex will be rebuilt: उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में एक प्राचीन मंदिर के निर्माण कार्य की शुरुआत की जा सकती है, जो करीब ढाई साल पहले की खोदाई में मिले थे। पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को पुरातात्विक शैली में बनाने का निर्णय किया है, जानकारी के अनुसार मंगलवार को विशेषज्ञों की देखरेख में आधार स्तंभ की सफाई और पुराने पत्थर के स्ट्रेक्चर को व्यवस्थित करने का काम किया गया है। वहीं जानकारी के अनुसार शिव मंदिर में आकार देने के लिए निर्माण कार्य में राजस्थान के कारीगरों को शामिल किया जा रहा है।
निर्माण में लगभग 65 लाख रुपए खर्च होंगे :
निर्माण कार्य की शुरुआत के लिए मंदिर से निकले पत्थरों को एकत्रित कर सफाई का कार्य प्रारंभ किया गया है। पुरातत्व विभाग भोपाल के अधिकारी डॉ. रमेश यादव ने बताया कि निर्माण के लिए इस समय उपलब्ध पत्थरों की उपयोगिता पर निर्भर करेगा। निर्माण के लिए अनुमानित खर्च का आंकलन करते हुए पुरातत्व विभाग ने बताया कि इस प्राचीन मंदिर के निर्माण में लगभग 65 लाख रुपए खर्च हो सकता है।
सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनेगा:
मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया में, विभाग ने प्राचीन शैली के साथ मंदिर को बनाने का निर्णय लिया है, जिससे यह मंदिर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनेगा। मंदिर के निर्माण में शामिल होने वाले राजस्थान के कुशल कारीगरों की शृंगारकला और स्थापत्य कला का मिलन एक नई ऊंचाइयों को छूने का अवसर प्रदान करेगा।
निर्माण कार्य के दौरान प्रतिदिन की प्रगति की रिपोर्ट विशेषज्ञ द्वारा प्रदान की जाएगी। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्थित होने के कारण आने वाले श्रद्धालुओं को पौराणिक इतिहास जानने का अद्वितीय अवसर प्रदान करेगा।
निर्माण के पहले महीनों में पुरातात्विक शैली के प्रशिक्षण के बाद, विभाग ने इस प्राचीन मंदिर के निर्माण की कवायद प्रारंभ की थी, जो अब धीरे-धीरे अपने अंजाम की ओर बढ़ रही है। शिव मंदिर के निर्माण में शामिल होने वाले प्रत्येक पत्थर की अहमियत को मध्यस्थ बनाकर, पुरातत्व विभाग ने इस महत्वपूर्ण कार्य को सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक पहलुओं का ध्यान रखा है।
इस प्रक्रिया के दौरान, विभाग की ओर से निर्देशित स्पेशलिस्ट टीमें भी मंदिर के विभिन्न पहलुओं की अध्ययन और संरक्षण का कार्य कर रही हैं, ताकि यह मंदिर अपने प्राचीन रूप में सुरक्षित रहे और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सशक्त पुरातात्विक स्मारक बने।