भारत में नदियों को माता कहा जाता है। हर नदी का अपना अलग-अलग महत्व है, जिन्हें देवी का दर्जा दिया गया है। यहां गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा सहित अन्य कई छोटी बड़ी नदियां बहती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, सभी नदियों का उद्गम स्थल अलग-अलग है और सब की कथाएं भी अलग व अनोखी है। खास अवसर पर लोग इन नदियों में स्नान करने जाते हैं, जिससे उनके सभी बुरे कर्म धूल जाते हैं। नदी का उपयोग बहुत सारे तरीके से किया जाता है। कुछ जगहों पर इसके पानी को फिल्टर करके पिया जाता है, तो कुछ जगह यह खेती में सिंचाई के काम आता है।
पिछले कई आर्टिकल में हम आपको भारत की सबसे लंबी नदी, भारत की सबसे छोटी नदी, भारत की अपवित्र नदी, भारत में नदियों मायका वाला राज्य के बारे में बता चुके हैं, लेकिन आज हम आपको उस नदी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे बुढ़ी गंगा के नाम से जाना जाता है।

लोगों की जुडी है आस्था
भारत में नदियां सिर्फ पानी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोगों की आस्था जुडी हुई है। यही वजह है कि सुबह-शाम नदी के घाटों पर आरती का खूबसूरत नजारा भी देखने को मिलता है। नदियों का नाम लेते ही सबसे पहले गंगा नदी का नाम लिया जाता है, जो कि भारत की सबसे पवित्र और सबसे लंबी नदी है। यह 5 राज्यों से होकर गुजरती है और फिर अरब सागर में जाकर मिल जाती है।
गोदावरी नदी (Godavari River)
वहीं, भारत की बुढ़ी गंगा गोदावरी नदी को कहा जाता है, जिसे वृद्ध गंगा के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत की सबसे लंबी नदी है। गंगा के बाद देश की दूसरी सबसे लंबी नदी इसी को माना जाता है, जो महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर से निकलती है और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में बहती है। यह दक्षिण भारत की एकमात्र पवित्र नदी है, जिसकी कुल लंबाई 1465 किलोमीटर है। यह कई लोगों के लिए लाइफ लाइन है, जो पीने के पानी से लेकर सिंचाई तक के लिए जरूरी होती है।