इन तीन राशियों पर एक बार फिर शुरू होने जा रहा शनि का प्रकोप, इन उपायों से मिलेगी मुक्ति

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धर्म, डेस्क रिपोर्ट। शनि ग्रह को ज्योतिष में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। शनिदेव एक ऐसे देव हैं जो कि मनुष्य को उसके कर्मों के हिसाब से सजा देते हैं, इसीलिए शनि के अशुभ प्रभावों से हर कोई डरा हुआ रहता है। अगर बात करें ज्योतिष के तो शनि के राशि परिवर्तन से व्यक्ति के जीवन में कई तरह के बदलाव आ जाते हैं। कुछ लोगों के राशि में शनि ढाई साल में एक बार राशि परिवर्तन करता है। वैसे ही कुछ लोगों के राशि में शनि साढ़े 7 साल के लिए राशि परिवर्तन करता है।

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वैसे तो ढाई साल वाले राशि परिवर्तन में शनि देव एक ही बार परिवर्तन करते हैं, लेकिन साल 2022 में शनि दो बार राशि परिवर्तन करेंगे। 29 अप्रैल 2022 को शनि कुंभ राशि में प्रवेश कर गए हैं। शनि के राशि परिवर्तन से मीन राशि पर साढ़ेसाती और कर्क वृश्चिक राशि पर शनि की ढैया शुरू हो गई है। इसके साथ ही धनु राशि से शनि की साढ़ेसाती और तुला मिथुन राशि से शनि की ढैया हट गई है। 12 जुलाई 2022 में शनि एक बार फिर राशि में परिवर्तन करेंगे।

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इस दिन शनि वक्री होकर मकर राशि में वापस से प्रवेश करेंगे। शनि के मकर राशि में प्रवेश से धनु राशि में एक बार फिर से शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी और तुला मिथुन राशि में शनि की ढैय्या। यदि आप भी इन राशियों में आते हैं और आपके ऊपर भी ढैय्या या साढ़ेसाती लगने वाली है, तो शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए यह काम करें।

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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हनुमानजी की अर्चना पूजा करने वाले जातकों पर शनि का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे शनिदेव आपको परेशान नहीं करेंगे। इसके पीछे मानना है कि जब रावण शनि देव को अपने बंधक बना लिया था, तब हनुमान जी ने ही उन्हें छुड़ाया था और सरसों के तेल से उनको स्नान कराकर सारा दर्द खत्म किया था, इसीलिए शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।

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भगवान शिव की कृपा से भी शनि देव के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है, इसलिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए नियमित तौर पर शिवलिंग पर जल अर्पित करें। साथ ही शनि चालीसा और शनि मंत्र का जप करें।

इसके अलावा शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि चालीसा और शनि देव के बीज मंत्र का जाप करें। शनिदेव की नियमित पूजा अर्चना करके शनिदेव के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है।

बीज मंत्र का जाप करें
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:


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Ram Govind Kabiriya

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