Chanakya Niti : चाणक्य नीतिशास्त्र के विद्वान थे, जिन्होंने “चाणक्य नीति” नामक ग्रंथ की रचना की, जिसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित नीतियों का वर्णन किया गया है। इसमें उन्होंने नैतिकता, राजनीति और प्रशासन के सिद्धांतों को शामिल किया। चाणक्य ने कई राजनीतिक नीतियों का अनुसरण किया, जैसे “साम, दाम, दंड, भेद” जो आज भी कूटनीति और राजनीति में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। आचार्य चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। वे मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के प्रमुख सलाहकार और गुरु थे। चाणक्य का जन्म 350 ईसा पूर्व माना गया है। चाणक्य ने नंद वंश के अत्याचारों और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया। साथ ही चंद्रगुप्त मौर्य को प्रशिक्षित किया। उनकी बुद्धि के कारण चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश को पराजित कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।

चाणक्य नीति के अनुसार, जीवन में तीन मंत्र आनंद में वचन मत दीजिए, क्रोध में उत्तर मत दीजिए, दुःख में निर्णय मत लीजिए।
आनंद में वचन मत दीजिए
जब हम बहुत खुश होते हैं, तो हमारी भावनाएं उच्च स्तर पर होती हैं। हम अत्यधिक उत्साह में आकर ऐसे वादे कर सकते हैं जिन्हें बाद में पूरा करना कठिन हो सकता है। इसलिए खुशियों के क्षणों में कोई वादा करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए और सोच-समझकर ही कोई वचन देना चाहिए।
क्रोध में उत्तर मत दीजिए
क्रोध के समय में हमारी मानसिक स्थिति स्थिर नहीं होती और हम बिना सोचे-समझे कुछ ऐसा कह सकते हैं, जिससे हमें या दूसरों को नुकसान हो सकता है। इसलिए क्रोध में प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए और पहले अपने मन को शांत करने का प्रयास करना चाहिए। शांत मन से ही सही उत्तर देना संभव होता है।
दुख में निर्णय मत लीजिए
दुख के समय में हमारी सोचने-समझने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में लिए गए निर्णय अक्सर गलत हो सकते हैं क्योंकि वे भावनात्मक स्थिति पर आधारित होते हैं न कि तार्किक सोच पर। इसलिए दुख के समय महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचना चाहिए और स्थिति के सामान्य होने तक प्रतीक्षा करनी चाहिए।
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