सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। बता दें कि यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। यह व्रत हर महीने की हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। महीने में दो बार पहली अमावस्या पर और दूसरी पूर्णिमा पर इस व्रत को रखा जाता है। इस व्रत को रखने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सुख और समृद्धि आती है। माता लक्ष्मी की कृपा से कभी भी आर्थिक तंगी नहीं आती है। शिव भक्तों के लिए यह व्रत काफी ज्यादा खास माना जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भक्तगण सुबह से ही मंदिरों में पहुंच जाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं व विधिविधान से उनकी पूजा करते हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस महीने तिथि की शुरुआत शाम 06 बजकर 54 मिनट से होगा, जिसका समापन रात 09 बजकर 11 मिनट तक होगा। इस बार यह तिथि गुरुवार को पड़ रही है, जिस कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा।

बन रहे ये योग
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त व रवि योग बन रहे हैं, जो कि जातकों के लिए बहुत अधिक शुभ माना जा रहा है। इस दौरान पूजा करने पर शिव भक्तों को सारे कष्टों से निजात मिल जाएगा। इस दिन कुंवारी कन्याओं को सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। कन्या इस दिन संतरा, केला, सेब, दूध, दही खा सकती हैं। सिंघाड़े का हलवा, साबूदाना की खिचड़ी और आलू का भी सेवन उचित माना जाता है।
करें ये उपाय
- यदि आपको किसी दोष से छूटकारा पाना है, तो आप इस दिन महादेव की पूजा करें। उन्हें सूखे मेवे का भोग लगाएं। भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। इससे धन संबंधी समस्या दूर होगी।
- यदि आपके करियर में किसी प्रकार की कोई बाधा आ रही हो, तो इस दिन उपवास रखें। सफेद बर्फी का भोग लगाएं। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और चंद्र दोष से छुटकारा मिलेगा।
- जीवन से सुख-शांति चली गई है, तो भगवान शिव को भांग और धतूरा चढ़ाएं। इससे माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और भगवान का भी आर्शिवाद मिलता है।
- विवाह संबंधी कोई समस्या से निजात पाने के लिए इस व्रत को किया जा सकता है। इसके अलावा, हर सोमवार को महादेव का जलाभिषेक करें। इससे कुंडली के सभी दोष खत्म होंगे और जल्द ही शादी हो जाएगी।
ऐसे करें पूजा
- सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर लें।
- फिर साफ वस्र् धारण कर लें।
- इसके बाद पूजन स्थल की सफाई करें।
- अब भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
- जल में दूध मिलकर जलाभिषेक करें।
- अब फल, फूल, धूप, दीप अर्पित करें।
- फिर मंत्रोंच्चारण के साथ महादेव की आरती उतारें।
- अब पूजा का समापन कर आर्शिवाद मांगे।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)