शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आज यानि मुहूर्त 01 जून को दोपहर 01 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगा और 02 जून को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगा। आज गुरुवार का दिन होने के कारण इसे “गुरु प्रदोष व्रत” के नाम से जाना जाएगा।
पूजन विधि
- एक पवित्र और शुद्ध स्थान को चुनें जहां आप पूजा करना चाहते हैं। पूजा स्थल को सजाएं और उसमें एक छोटा शिवलिंग स्थापित करें।
- पूजा की शुरुआत में संकल्प करें, जिसमें आप अपने निश्चय को व्यक्त करें कि आप गुरु प्रदोष व्रत की पूजा कर रहे हैं और भगवान शिव की अनुप्राणित उपासना करेंगे।
- शुद्ध होकर बैठें और शिवलिंग की ओर मुख करें। शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं और पुष्प, दूप, दीप, अक्षत (चावल के दाने), धूप, आरती के दिए, नैवेद्य (भोग), वस्त्र, बेलपत्र आदि से पूजा करें।
- भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ नमः शिवाय” और अन्य शिव मंत्र।
- गुरु प्रदोष व्रत के दिन शिव कथा का पाठ करें। इसमें भगवान शिव के महिमा, लीला और उनके भक्तों के चरित्र का वर्णन होता है।
- आरती गाएं और शिव जी की महिमा गाने या रचनाएं पढ़ें।
- प्रदोष काल में जो आधी राति के करीब होता है, भगवान शिव की उपासना करें। इस समय में ध्यान और मन्त्र जाप करें और भगवान शिव के सामीप्य में एकाग्रता रखें।
- पूजा के अंत में दक्षिणा दें और आशीर्वाद लें। इसके बाद प्रसाद बांटें और खुद भी प्रसाद लें।
महत्व
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक की इच्छाएं पूरी होती हैं। यह व्रत आत्मशुद्धि, आध्यात्मिक विकास और धार्मिकता को प्रोत्साहित करता है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करने से दाम्पत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में कष्टों का नाश होता है। इस मौके पर आप भगवान शिव की आराधना करने से उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। प्रदोष व्रत का महत्व और फल प्राप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत को आचरण करना चाहिए। यह व्रत भगवान शिव के प्रतीक और समर्पण का प्रतीक है और उनकी कृपा को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
भूलकर भी न करें ये गलतियां
- गुरु प्रदोष व्रत के दिन मंदिर को अच्छे से साफ-सफाई करें और पूजा की जगह पर गंदगी न होने दें।
- इस दिन लहसुन, प्याज आदि तामसिक भोजन का सेवन न करें और मांस और मदिरा का त्याग करें। यह व्रत सात्विक आहार के आदर्शों को प्रोत्साहित करता है।
- घर में लड़ाई, झगड़ा या कलह को शांत रखें और वाद-विवाद से दूर रहें। सद्भावना और सौहार्द का माहौल बनाए रखने का प्रयास करें।
- सुबह देर तक न सोते रहें, जल्दी उठें और उचित समय पर पूजा करें। नींद से जागरूकता व्रत के आध्यात्मिक अनुभव में मदद करती है।
- व्रत के दिन बिना नहाए शिवलिंग को स्पर्श न करें। यह शिव के आदेश का पालन है और आध्यात्मिकता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- व्रत रखने वाले लोग काले वस्त्र पहनने की विशेष विधि को अपना सकते हैं। काले रंग का पहनना शिव की भक्ति का प्रतीक होता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)