दरअसल, आज छठ पूजा का दूसरा दिन है। इस दिन व्रती लोग खीर, पूरी और मिष्ठान बनाते हैं। इस अवसर पर लोग व्रतियों के घर जाकर प्रसाद खाते हैं।
4 दिन का महापर्व
बता दें कि यह पर्व चार दिनों तक चलता है। पहले दिन व्रती लोग अपने घर की सफाई करते हैं और सूर्य देव की पूजा के लिए तैयारी करते हैं। दूसरे दिन लोग स्नान करके सूर्योदय का दर्शन करते हैं और उन्हें अर्घ्य (जल, दूध, फल, खाना आदि) चढ़ाते हैं। इसी दिन शाम को खाना पकाते हैं, जो प्रसाद के रूप में समर्पित किया जाता है। जिसे खरना कहा जाता है। वहीं, तीसरे दिन व्रती और उनके परिवार के लोग सूर्योदय के समय नदी, सरोवर, पोखर, तालाब या अन्य जल स्रोतों के किनारे जाते हैं। जिसके बाद वो संध्याकालीन सूर्य को अर्घ्य देते हैं जबकि छठ पूजा के आखिरी दिन जिसे छठी तिथि कहा जाता है इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। लोग सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
करें ये काम
- छठ के दौरान झूठे हाथ से पूजा का सामान नहीं खरीदना चाहिए।
- सात्विक भोजन का सेवन करें।
- फलों को अच्छे से धोकर विधिपूर्वक सूप में सुखाएं।
- व्रत के दौरान आसान में सोएं।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठ की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। बता दें कि सूर्य पुत्र कर्ण ने अपने पिता की पूजा कर इसे शुरू किया था। कर्ण भगवान सूर्य के पुत्र थे और उनका अत्यंत श्रद्धालु था। उन्होंने अपने पिता के आज्ञानुसार उनकी पूजा और अर्घ्य किया करते थे। जिससे सूर्य देव प्रसन्न होकर उन्हें अपना आशीर्वाद दिया।
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