Chhath 2024 : लोक आस्था का महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है। सुबह से ही हर गली-मोहल्ला छठी माई के गीतों से भक्तिम हो रहा है। बाजारों में फल खरीदने की होड मची हुई है। रास्तों को दुल्हन की तरह सजाकर तैयार किया जा चुका है। घरों में चहल-कदमी बनी हुई है। इस पर्व में बच्चा-बच्चा भी काम में अपने बड़ों का हाथ बंटाता है। बता दें कि यह त्यौहार बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। 4 दिनों तक चलने वाले इस व्रत में लोगों के बीच अलग ही उमंग देखने को मिलता है। यह एक ऐसा त्यौहार है, जब परिवार के सभी सदस्य एकजुट होते हैं। नहाए खाए के साथ शुरू होने वाले त्यौहार में व्रती 36 घंटे निर्जला व्रत रखते हैं, तभी इस पर्व को महापर्व कहा जाता है जोकि सबसे ज्यादा कठिन माना जाता है।
चार दिवसीय छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसी कड़ी में आज व्रती सूप उठाएंगे और शाम के समय छठी मैया और सूर्य देव को अर्घ्य देकर उनसे आशीष प्राप्त करेंगे। इसके लिए घाट तैयार किया जा चुका है। इसे केले के पत्ते, फूलों और लाइटों से सजाया गया है।
अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त (Chhath Puja)
झारखंड में तीसरे दिन यानी आस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहले अर्घ्य दिया जाएगा। हिंदू पंचांग के अमुसार, जिसका शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 08 मिनट है। इसके लिए पूरे राज्य के विभिन्न जलाशयों की साफ सफाई कर दी गई है। साज सजावट से घाट काफी ज्यादा आकर्षक हो चुके हैं। नदी, तालाब तक पहुंचने वाले रास्ते में सूर्य देव की झांकियां भी लगाई गई है। वहीं, बिहार की बात करें तो यहां सूर्यास्त शाम 05 बजकर 13 मिनट पर होगा। इस दौरान भक्त ढलते सूर्य को पहला वहीं बिहार की बात करें तो यहां सूर्य सेंट शाम 5:13 पर होगा इस दौरान भारती ढलते सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे।
पुलिस बल रहेंगे तैनात
कई स्थानों पर पूजा के लिए पंडित की भी व्यवस्था कराई गई है। इसके अलावा, पूजन सामग्री वितरित करने की व्यवस्था की गई है। छठ घाट पर एंबुलेंस की तैनात होंगे। इमरजेंसी के लिए डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों की भी ड्यूटी लगाई गई है, जिनके पास फर्स्ट एड के लिए जरूरी दवाएं भी होगी। साथ ही SDRF और NDRF की टीम में गोताखोर भी तैनात होंगे। घाटों की निगरानी के लिए जवान नाव से गस्ती करेंगे।
ढलते सूर्य को देंगे अर्घ्य
घाट पर जाने से पहले व्रती द्वारा छठी मैया के प्रसाद को बांस के सूप में रखकर घाट पर ले जाया जाता है। जब वह स्नान करने के बाद सिर्फ ढककर खड़ी होती है, जिसे हाथ उठाना कहते हैं। शाम के समय व्रती पश्चिम दिशा में अपना चेहरा कर खड़े होते हैं। वहीं, भक्त सूर्य देव के डूबते वक्त आज देने के लिए पानी में उतरते हैं। वहां लोटे में जल और दूध से अर्घ्य दिया जाता है। घाटों पर इसकी व्यवस्था भी की जाती है। वहीं, बच्चे घाटों पर पटाखे भी जलाते हैं।
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