Fri, Dec 26, 2025

Tuesday Special: जानिए कैसे हनुमान जी की पूजा से बदल सकती है आपकी किस्मत, करें ये काम

Written by:Bhawna Choubey
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Tuesday Special: ज्येष्ठ माह का पहला मंगलवार, जिसे बड़ा मंगल कहा जाता है, भगवान हनुमान जी की पूजा के लिए अति उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से साधक को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें अतुल बल और शत्रुओं पर विजय प्राप्ति भी शामिल है।
Tuesday Special: जानिए कैसे हनुमान जी की पूजा से बदल सकती है आपकी किस्मत, करें ये काम

Tuesday Special: ज्येष्ठ माह का प्रत्येक मंगलवार भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन श्रद्धालु विधि-विधान से भगवान श्रीराम और हनुमान जी की पूजा करते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत भी रखते हैं। बड़े मंगल, जो कि ज्येष्ठ माह का पहला मंगलवार होता है, का विशेष महत्व है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से साधक को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। बड़ा मंगल मंगलवार को आने वाला एक विशेष दिन होता है जो भगवान हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं, जिनमें आर्थिक तंगी से मुक्ति भी शामिल है। बड़ा मंगल 28 मई 2024 को पड़ रहा है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करते समय आप ऋणमोचन स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

इस स्तोत्र का पाठ करते समय

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
घी का दीपक जलाएं और हनुमान जी की प्रतिमा के सामने बैठें।
पूरे मन से 11 बार ऋणमोचन स्तोत्र का पाठ करें।
हनुमान जी से अपनी आर्थिक समस्याओं का निवारण करने की प्रार्थना करें।
प्रसाद के रूप में फल, फूल और मिठाई चढ़ाएं।

ऋणमोचन अङ्गारकस्तोत्रम्

रक्तमाल्याम्बरधरः शूलशक्तिगदाधरः ।

चतुर्भुजो मेषगतो वरदश्च धरासुतः ॥

मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।

स्थिरासनो महाकायो सर्वकामफलप्रदः ॥

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः ।

धरात्मजः कुजो भौमो भूमिदो भूमिनन्दनः ॥

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः ।

सृष्टेः कर्ता च हर्ता च सर्वदेशैश्च पूजितः ॥

एतानि कुजनामानि नित्यं यः प्रयतः पठेत् ।

ऋणं न जायते तस्य श्रियं प्राप्नोत्यसंशयः ॥

अङ्गारक महीपुत्र भगवन् भक्तवत्सल ।

नमोऽस्तु ते ममाशेषं ऋणमाशु विनाशय ॥

रक्तगन्धैश्च पुष्पैश्च धूपदीपैर्गुडोदनैः ।

मङ्गलं पूजयित्वा तु मङ्गलाहनि सर्वदा ॥

एकविंशति नामानि पठित्वा तु तदन्तिके ।

ऋणरेखा प्रकर्तव्या अङ्गारेण तदग्रतः ॥

ताश्च प्रमार्जयेन्नित्यं वामपादेन संस्मरन् ।

एवं कृते न सन्देहः ऋणान्मुक्तः सुखी भवेत् ॥

महतीं श्रियमाप्नोति धनदेन समो भवेत् ।

भूमिं च लभते विद्वान् पुत्रानायुश्च विन्दति ॥

मूलमंत्र

अङ्गारक महीपुत्र भगवन् भक्तवत्सल ।

नमस्तेऽस्तु महाभाग ऋणमाशु विनाशय ॥

अर्घ्यम् । भूमिपुत्र महातेजः स्वेदोद्भव पिनाकिनः ।

ऋणार्थस्त्वां प्रपन्नोऽस्मि गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते ॥

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)