Vedic Holika Ujjain : 8 मार्च को देश भर में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाने वाला है। देश के हर क्षेत्र में अलग-अलग परंपराओं के अनुसार इस पर्व को मनाया जाता है। रंगों के उत्सव होली से पहले होलिका दहन करने और पूजन पाठ करने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है।
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में होली का त्योहार सबसे पहले मनाया जाता है। विश्व भर में सबसे पहले महाकाल के आंगन में रंग गुलाल उड़ता है। यहीं के सिंहपुरी क्षेत्र में विश्व की सबसे अनूठी वैदिक होलिका बनाई जाती है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं।
ऐसी होती है Vedic Holika
सिंहपुरी में रहने वाले ब्राह्मण जो गुरु मंडली के नाम से प्रसिद्ध है, वह वेद मंत्रों के माध्यम से कंडे बनाते हैं। फिर इन्हीं कंडो के जरिए होलिका तैयार की जाती है जिसमें 5 से 7 हजार ओपले उपयोग किए जाते हैं।

इस होलिका को पूरी तरह से कंडो से ही तैयार किया जाता है और इस पर रंग गुलाल की सजावट की जाती है। इसके बाद प्रदोष काल में चारों वेदों के ब्राह्मण मिलकर अलग-अलग मंत्रों से होलिका का पूजन करते हैं। बड़ी संख्या में महिलाएं यहां पर पूजन अर्चन करने के लिए पहुंचती हैं और फिर होलिका दहन किया जाता है।
वेद मंत्रों से कंडो का निर्माण
सिंहपुरी में जलाई जाने वाली इस होलिका की परंपरा बहुत ही प्राचीन है। कई शताब्दियों से यहां पर वैदिक ब्राह्मणों जिसमें सभी शाखाएं यजुर्वेद, ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद के माध्यम से ओपलों का निर्माण किया जा रहा है।
इस परंपरा का निर्वहन अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए किया जाता है और वैदिक मंत्रों के माध्यम से तैयार किए गए ओपालों को होलिका में स्थापित किया जाता है।
ये है मान्यता
पुराणों में होलिका के संबंध में बहुत सी बातें कही गई है। होलिका पूजन करते समय प्रदोष काल में महिलाओं को होलिका की संतुष्टि के लिए गोबर से बनाए गए नारियल और पान अर्पित करने चाहिए। ऐसा करने से परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है और परिवार के लोग निरोगी और दीर्घायु होते हैं।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
उज्जैन में बनाई जाने वाली अनोखी होलिका पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देती है। इस होली में लकड़ी का बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया जाता है और इसका दहन अलग-अलग वेदों से संबंध रखने वाले मंत्र के माध्यम से किया जाता है। होलिका को जमाने से लेकर उसके दहन काल तक यहां मंत्रोच्चार और परंपरागत वाक्यों का संबोधन होता है।
उज्जैन में हैं कई परंपराएं
उज्जैन एक तीर्थ क्षेत्र है जिसके चलते इसकी बहुत ही विशेषता है। यहां कई तरह की पौराणिक मान्यताओं और परंपराओं को विशेष रूप से माना जाता है। क्योंकि वेदों के दृष्टिकोण से लंबे समय से यहां पर रीती रिवाजों का चलन हैं जिन्हें शहरवासी निभाते आ रहे हैं।





