Uttarakhand Tourism : केदारनाथ घूमने जाने वाले यात्रियों के लिए मुनकटिया गांव के मुण्डकटा गणेश का मंदिर सभी के आकर्षण का केंद्र है। ये विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां बिना सिर वाले भगवान गणेश की पूजा होती है। दरअसल, ये वहीं स्थान है जहां भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था। उसी स्थान पर भगवान गणेश की बिना सिर वाली मूर्ति स्थापित है। यहां दूर-दूर से भक्त गणेश जी के दर्शन करने के लिए आते हैं।
इस मंदिर में खास पूजा की जाती है। ये अनोखा मंदिर उत्तराखंड में स्थित है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में मुनकटिया गांव में भगवान गणेश का बिना सिर वाला मंदिर मौजूद है। अगर आप केदारनाथ के दर्शन करने जा रहे हैं तो आप इस मंदिर के दर्शन करने जा सकते है। ये मंदिर बेहद प्रसिद्ध है। यहां सबसे ज्यादा भक्त जाते हैं। ये केदारनाथ से 20 किमी और गौरीकुंड से सिर्फ 4 किमी की दूर है। त्रियुगी नारायण मंदिर से ये मंदिर बेहद पास है। आप यहां पैदल भी जा सकते हैं।
मान्यताओं के अनुसार, इसी स्थान पर भगवान गणेश को उनकी उद्दंडता का दंड देते हुए भगवान शिव ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था। ऐसे में माता पार्वती के विलाप और सभी देवताओं के कहने पर भगवान शिव ने फिर से सिर जोड़ने के लिए हाथी का सिर भगवान गणेश के धड़ पर जोड़ दिया। जिसके बाद उन्हें फिर से जीवनदान मिला। तभी से उनका नाम गजानन पड़ गया।
Uttarakhand Tourism के इस मंदिर की ऐसी है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव तपस्या के लिए कैलाश से बाहर गए थे। तब माता पार्वती को अकेलापन काफी ज्यादा सताता था। उन्होंने अपना अकेलापन दूर करने के लिए अपने पसीने से एक पुतले का निर्माण किया और उसमें जान फुंक दी। ऐसे में जब पुतला जीवित हुआ तो उसे माता पार्वती ने अपना पुत्र मान लिया।
उस पुत्र का नाम माता ने विनायक दिया। ऐसे में अपने पुत्र को बाहर पहरे पर बिठा कर माता पार्वती गौरीकुंड में स्नान करने के लिए गई। ऐसे में उन्होंने पुत्र को कहा था कि गुफा के अंदर किसी को भी नहीं आने देना है। लेकिन तभी महादेव का वहां आना हुआ।
लेकिन विनायक को ये नहीं पता था कि वहीं उनके पिता है। ऐसे में विनायक ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। काफी समझाने के बाद भी विनायक ने महादेव को अंदर नहीं जाने दिया। जिसके बाद महादेव का क्रोध बढ़ गया और उन्होंने अपने त्रिशूल से विनायक का सिर धड़ से अलग कर दिया। जिसके बाद माता पार्वती ने खूब विलाप किया।
वहीं महादेव को कहा कि उत्तर दिशा में जो भी जीव सबसे पहले दिखें उसका सिर काट कर लाया जाए। ऐसे में सफेद हाथी उन्हें पहले दिखा और उन्होंने हाथी का सिर धड़ से अलग कर विनायक के धड़ पर लगा दिया। इस वजह से आज भी इस स्थान को मुण्डकटा या मुण्डकटा गणेश के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस गुफा में 33 कोटी देवी-देवताओं के दर्शन एक साथ होते हैं।