Valmiki Jayanti : आखिर कैसे रत्नाकर बने महाकवि वाल्मीकि, आइए जानें

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। रामायण के रचयिता संस्कृत के पहले कवि और आदि कवि महर्षि वाल्मीकि की जयंती (Valmiki Jayanti) आज पूरे देश में मनाई जा रही है। वाल्मीकि का हिन्दू महीने आश्विन की पूर्णिमा को हुआ था। वाल्मीकि जयंती पर धार्मिक आयोजन होते हैं , हिन्दू समाज के लोग और महर्षि वाल्मीकि में आस्था रखने वाले लोग वाल्मीकि जयंती पर उनकी पूजा अर्चना करते हैं।  महर्षि वाल्मीकि से जुड़ी एक पौराणिक कथा है जो बुराई पर विजय प्राप्त कर खुद को बदलने का ऐसा उदाहरण है जो सबके लिए एक प्रेरणा है।

महर्षि कश्यप और अदिति की नौवीं संतान वरुण – चर्षणी के घर जन्मे वाल्मीकि का नाम उनके माता पिता ने रत्नाकर रखा था। इनके भाई भृगु थे। रत्नाकर के पिता वरुण का एक नाम प्रचेता भी है इसलिए वाल्मीकि प्राचेतस नाम से भी जाने जाते हैं। उपनिषद के अनुसार रत्नाकर अपने भाई भृगु के सामान ही परम ज्ञानी थे।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....