भारतीय परंपरा में वरलक्ष्मी व्रत (Varalakshmi Vrat 2025) को विशेष रूप से महिलाओं के लिए बेहद शुभ माना जाता है। यह व्रत मां लक्ष्मी को समर्पित है और इसे करने से घर में धन, सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है। दक्षिण भारत से शुरू हुई यह परंपरा अब पूरे देश में लोकप्रिय हो चुकी है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, वरलक्ष्मी व्रत में मां लक्ष्मी की पूजा के साथ जो स्त्री पूरे श्रद्धा-भाव से उनकी आरती करती है, उसके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं रहती। यही वजह है कि इस दिन की पूजा में लक्ष्मी जी की आरती को अनिवार्य माना जाता है।
आरती से बढ़ती है पूजा की पूर्णता
आरती को पूजा का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण माना जाता है। वरलक्ष्मी व्रत के दिन मां लक्ष्मी की आरती करने से उनकी कृपा तुरंत प्राप्त होती है। यह आरती भक्त और देवी के बीच एक आध्यात्मिक जुड़ाव बनाती है, जिससे मन की शांति और आत्मिक सुख मिलता है।
हर मनोकामना होती है पूर्ण
धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि वरलक्ष्मी व्रत पर की गई आरती से देवी प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं। चाहे वह आर्थिक समृद्धि की कामना हो या परिवार में सुख-शांति की, मां लक्ष्मी हर प्रार्थना को सुनती हैं और वरदान देती हैं।
घर में आती है समृद्धि और सौभाग्य
आरती के समय दीया, कपूर और घंटी की ध्वनि से वातावरण पवित्र हो जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में सकारात्मकता और खुशहाली का वास होता है। यही कारण है कि वरलक्ष्मी व्रत पर आरती को विशेष महत्व दिया गया है।
वरलक्ष्मी व्रत 2025 की तिथि और पूजा विधि
इस वर्ष वरलक्ष्मी व्रत श्रावण मास के शुक्रवार को मनाया जाएगा। सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और मां लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर को सजाकर पीले या लाल वस्त्र पहनाएं। पूजा में चावल, हल्दी, लाल फूल, नारियल और मिठाई का भोग जरूर चढ़ाएं। अंत में पूरे परिवार के साथ मां लक्ष्मी की आरती करें।





