24 अप्रैल को रखा जाएगा वरुथिनी एकादशी का व्रत, जानें पौराणिक कथा

वरुथिनी एकादशी मनाई जाएगी, जो कि इस साल 24 अप्रैल को पड़ रहा है। इस व्रत को रखने से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसके साथ ही पापों का अंत भी होता है। एकादशी का व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष को रखा जाता है।

हिंदू धर्म में एकादशी का काफी अधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साल भर में 24 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं, लेकिन अधिक मास होने पर इसकी संख्या 26 हो जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कड़ी में वरुथिनी एकादशी मनाई जाएगी, जो कि इस साल 24 अप्रैल को पड़ रहा है। इस व्रत को रखने से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसके साथ ही पापों का अंत भी होता है। एकादशी का व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष को रखा जाता है।

इस खास अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा करने से मनुष्य को उनके सारे पापों से छुटकारा मिल जाता है।

शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, 23 अप्रैल को शाम 4:43 पर वरुथिनी एकादशी की शुरुआत होगी। जिसका समापन 24 अप्रैल को दोपहर 2:32 पर होगा। ऐसे में 24 अप्रैल को एकादशी का व्रत रखा जाएगा। वहीं, 25 अप्रैल को सुबह 5:46 से लेकर सुबह 8:30 तक पारण किया जाएगा।

पौराणिक कथा

इस व्रत को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार, एक बार मान्धाता नाम के राजा के पर को एक जंगली भालू ने काट लिया था, जिससे राजा बेहद डर गया। इस स्थिति में उसने भगवान विष्णु को याद किया और जीवन की रक्षा के लिए उनसे प्रार्थना की। तब प्रभु ने उसकी प्रार्थना सुनी और प्रसन्न होकर राजा से कहा कि वरुथिनी एकादशी का व्रत करो, जिससे तुम्हारे शरीर की सारी पीड़ा दूर हो जाएगी। तब राजा ने विधिवत पूर्वक इस व्रत को किया। जिसके फलस्वरुप राजा सुंदर शरीर वाला हो गया। तभी से वरुथिनी एकादशी की शुरुआत हुई।

क्या करें और क्या ना करें?

इस दिन जातक को व्रत रखने के दौरान दूध, दही, फल, शरबत, साबूदाना, बादाम, नारियल, शकरकंद, आलू, मिर्च, सेंधा नमक, राजगीर का आटा, आदि का सेवन करना चाहिए। पूजा के बाद साफ जल और साफ बर्तन में ही कुछ भी खाएं।
इस व्रत को रखने से पहले या फिर उसी दिन तामसिक भोजन का सेवन न करें। इससे व्रत असफल माना जाएगा। इस व्रत को करने वाले साधक को चावल और नमक का सेवन भी करना वर्जित माना गया है।

करें ये उपाय

  • इस दिन पीला वस्त्र पहनकर पूजा पाठ करें। पीले रंग का भोग लगाएं और पीला फूल ही भगवान विष्णु को अर्पित करें।
  • इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के समक्ष 9 बाती का दीपक जलाएं। इससे घर में सुख शांति बनी रहेगी।
  • इस दिन कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें। भगवान विष्णु के सहस्त्र नाम का जाप करें।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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