हिंदू धर्म में आए दिन कोई ना कोई त्योहार जैसे अमावस्या, चतुर्थी, एकादशी, होली, दिवाली, मनाए जाते हैं। इनमें से एक संकष्टी चतुर्थी भी है, जो कि भगवान गणेश को समर्पित है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती है, जो कि चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है।
भगवान श्री गणेश को समर्पित इस व्रत को करने से जातक की सभी परेशानियां दूर होती है। घर में सुख और समृद्धि आती है। माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है।

शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 मार्च को शाम 7:33 पर शुरू होगी। जिसका समापन 18 मार्च को रात 10:09 पर होगा। ऐसे में भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 17 मार्च को मनाई जा रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आज के दिन चंद्रमा तुला राशि में गोचर कर रहे हैं। जिस कारण वसुमति योग का निर्माण हुआ है, जिससे कुछ राशियां ऐसी हैं, जिनके लिए यह काफी फायदेमंद साबित होने वाला है।
मेष राशि
मेष राशि के जातकों को आज के दिन विशेष लाभ मिलने वाला है। करियर में लाभ के योग बन रहे हैं। भगवान गणेश की कृपा से छात्रों को विशेष लाभ मिलेगा। व्यापार में तरक्की के योग बन रहे हैं। रिश्ते में हुई अनबन और खटास दूर होगी। व्यवहार लोगों को काफी ज्यादा आकर्षित करेगा।
धनु राशि
वहीं, धनु राशि के जातकों के लिए भी वसुमति योग शुभ साबित होने वाला है। कार्यक्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे। भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना गया है, ऐसे में उनकी पूजा अर्चना करने से विशेष लाभ मिलने वाला है। माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसेगी, जिससे आर्थिक तंगी दूर होगी।
महत्व
शास्त्रों के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का अर्थ “संकट को हरने वाली चतुर्थी” होता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, गजानन, लंबोदर, आदि कहा जाता है, जो भक्तों के सभी कष्ट और बाधाओं को दूर करते हैं। इस व्रत को करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
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