सनातन धर्म में सुहागिन स्त्रियों के लिए कई सारे व्रत त्यौहार बनाए गए हैं, जो उनके पति की लंबी उम्र के लिए रखी जाती है। इनमें से एक वट सावित्री व्रत भी है, जिसका काफी अधिक महत्व है। महिलाएं यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं। इस दौरान वह पूरे विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। सोलह श्रृंगार कर वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, इसकी परिक्रमा करती है। इसके अलावा, सावित्री की कथा भी सुनती हैं।
इस दिन श्रृंगार के समान का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस साल वट सावित्री व्रत के दिन शनि जयंती का योग बन रहा है, जिस कारण इस व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12:11 से शुरू होगी, जिसका समापन अगले दिन यानी 26 मई को सुबह 8:21 पर होगा। ऐसे में 26 मई को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा।
धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा इसलिए की जाती है, क्योंकि इसकी जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है। ऐसे में तीनों देवताओं की पूजा एक साथ हो जाती है। इसके अलावा, वृक्ष की लटकती हुई शाखाओं को सावित्री का स्वरूप माना जाता है, इसलिए महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं क्योंकि यह त्रिदेव का प्रतीक है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां सावित्री ने अपने पति सत्यवान के लिए बरगद के पेड़ के नीचे ही तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर यमराज प्रकट हुए और उन्होंने सावित्री से वरदान मांगने को कहा। तब उन्होंने अपने पति सत्यवान के प्राण वापस मांगे थे। जिसके फलस्वरुप यमराज ने सावित्री के पति सत्यवान को पुनर्जीवित किया था। तब से ही वट सावित्री का व्रत महिलाओं द्वारा रखा जाता है।
सामग्री
वट सावित्री व्रत पूजा में रक्षा सूत्र, कच्चा सूत, बरगद का फल, बांस का बना पंखा, कुमकुम, सिंदूर, पान, सुपारी, बताशा, कपड़ा, इत्र, गुड, दीपक, अक्षत, चंदन, रोली, फल, फूल, व्रत कथा की पुस्तक, पानी से भरा कलश, नारियल, मिठाई, मखाना, प्रसाद, भिंगा हुआ चना, मूंगफली, पूरी, आदि का इस्तेमाल किया जाता है।
क्या करें व क्या ना करें
- व्रत करने वाली महिलाओं को इस दिन निर्जला उपवास रखना पड़ता है।
- इस दिन किसी के साथ भी गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए।
- ना ही किसी को आप शब्द बोलना चाहिए।
- पूजा करने के बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए।
- इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनने का महत्व है।
- इसके अलावा, सोलह श्रृंगार करना चाहिए।
- तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए।
- पति के साथ विवाद या बहस करने से बचना चाहिए।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)