Thu, Dec 25, 2025

अखंड सौभाग्य की कुंजी है वट सावित्री व्रत 2025, जानें कैसे करें पूजा विधि और कौन से उपाय हैं प्रभावी

Written by:Bhawna Choubey
Published:
विवाहित महिलाएं वट सावित्री व्रत के दिन अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन की कामना करती हैं। इस व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। जानिए 26 मई 2025 को पड़ने वाले इस व्रत की तिथि, पूजा विधि और सौभाग्य पाने के आसान उपाय।
अखंड सौभाग्य की कुंजी है वट सावित्री व्रत 2025, जानें कैसे करें पूजा विधि और कौन से उपाय हैं प्रभावी

वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2025) हिन्दू संस्कृति में खास महत्व है, खासकर विवाहित महिलाओं के लिए। ये व्रत न सिर्फ पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है, बल्कि इससे वैवाहिक जीवन में प्रेम, विश्वास और सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास रखती हैं और वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा कर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं। मान्यता है कि इस व्रत से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

साल 2025 में वट सावित्री व्रत 26 मई, सोमवार को रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेंगी, फिर वट वृक्ष के नीचे पूजा-पाठ कर परिक्रमा करेंगी। कई घरों में इस दिन पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं और महिलाएं सज-धजकर व्रत में हिस्सा लेती हैं। ये दिन केवल धार्मिक अनुष्ठान का नहीं, बल्कि एक सामाजिक जुड़ाव और स्त्रीशक्ति के समर्पण का भी प्रतीक बन गया है।

वट सावित्री व्रत 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष वट सावित्री व्रत 26 मई 2025, सोमवार को मनाया जाएगा। अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12:11 बजे होगी और इसका समापन 27 मई को सुबह 8:31 बजे होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 26 मई को सुबह 8:52 बजे से 10:35 बजे तक रहेगा।

वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

  • सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  • वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्तियां स्थापित करें।
  • वट वृक्ष को जल, फूल, रोली, मोली, चना, गुड़ आदि अर्पित करें।
  • वट वृक्ष की 7 या 11 बार परिक्रमा करें और कच्चा सूत लपेटें।
  • सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें और पूजा संपन्न करें।

अखंड सौभाग्य पाने के लिए करें ये उपाय

  • वट वृक्ष के नीचे बैठकर सत्यवान और सावित्री की पूजा करें और व्रत कथा सुनें।
  • माता लक्ष्मी की पूजा करें और 11 पीली कौड़ियां अर्पित करें।
  • पति के साथ वट वृक्ष की 11 बार परिक्रमा करें और घी का दीपक जलाएं।