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Wed, Dec 17, 2025

भारत का इकलौता गांव, जहां हनुमान जी का नाम लेना है मना!

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे, जहां भगवान श्री राम की तो पूजा होती है, लेकिन यहां कोई भी हनुमान जी का नाम नहीं लेता। यह अपने आप में काफी आश्चर्य भरा है। आइए जानते हैं विस्तार से...
भारत का इकलौता गांव, जहां हनुमान जी का नाम लेना है मना!

भारत में राम भक्त हनुमान की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इनकी देशभर में कई जगह पर ऊंची-ऊंची प्रतिमाएं स्थापित है, जहां विधि-विधान पूर्वक उनकी आराधना होती है। हनुमान जी को लेकर कई सारी कथाएं भी सनातन धर्म में प्रचलित हैं। भगवान श्री राम के परम भक्त होने के साथ-साथ, वे भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं, जिनकी पूजा खास तौर पर मंगलवार को की जाती है। जब भी किसी व्यक्ति को भय का एहसास होता है, वह हनुमान जी का नाम लेते हैं, जिससे सारे भय दूर हो जाते हैं।

आज हम आपको भारत के उस गांव से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जहां भगवान श्री राम की तो पूजा होती है, लेकिन यहां हनुमान जी का नाम लेना भी वर्जित है।

द्रोणागिरी गांव (Dronagiri Village)

दरअसल, इस गांव का नाम द्रोणागिरी है, जो कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यहां लोगों के बीच धार्मिक आस्था कुछ और ही है। यहां सदियों से लोग भगवान राम की पूजा करते आ रहे हैं, लेकिन यहां हनुमान जी का कोई भी नाम नहीं लेता। स्थानीय लोगों की मानें तो यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। जब भी यहां पर किसी भी प्रकार का धार्मिक आयोजन किया जाता है, तो हनुमान जी के प्रसंग को छोड़ दिया जाता है।

पौराणिक कथा

इसके पीछे पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार रामायण काल में लंका युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण जी गंभीर रूप से घायल हो गए थे, तब उन्हें बचाने के लिए वैद्य सुश्रुत ने हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने के लिए भेजा, जो केवल हिमालय पर स्थित द्रोणागिरी पर्वत पर ही पाई जाती थी। हनुमान जी वहां पहुंचे, लेकिन वे इस बूटी को पहचान नहीं पाए। समय की कमी होने के कारण उन्होंने पूरा द्रोणागिरी पर्वत ही उखाड़ लिया और उसे अपने हाथ में लेकर वापस उड़ गए, जहां वैद्य ने इस बूटी को पहचान कर लक्ष्मण जी का उपचार किया और उनकी जान बचाई, लेकिन द्रोणागिरी गांव के लोक देवता लाटू देव ने इसे अपना अपमान समझा।

उन्होंने कहा कि हनुमान जी ने ऐसा करके पर्वत और इलाके की पवित्रता का अपमान किया है। उन्होंने बिना अनुमति के पर्वत उठाया, जिससे लोगों की धार्मिक भावना आहत हुई है। तभी से इस गांव में हनुमान जी की पूजा नहीं होती।

आप भी जाएं

यदि आपको कभी इस गांव में घूमने का मौका मिले, तो आप भी अवश्य जाएं। यहां की अनोखी परंपरा आपको बहुत ही ज्यादा पसंद आएगी। लेकिन यह हनुमान भक्तों के लिए थोड़ा कष्टदायी भी जरूर होता है, क्योंकि उनसे बड़ा भक्त भगवान श्री राम का कोई नहीं था। ऐसे में उनके यहां पर नाम तक ना लेना, काफी दुखदाई होता है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)