विश्वकर्मा जयंती : सृष्टि के प्रथम इंजीनियर और वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा, सृजन, निर्माण और तकनीकी कौशल के देवता की पूजा आज

हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का महान वास्तुकार माना गया है। मान्यतानुसार, वह सभी देवताओं के महल, हथियार और आभूषणों के निर्माता थे। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने कई अद्भुत और दिव्य संरचनाओं का निर्माण किया जैसे स्वर्गलोक, इंद्रप्रस्थ, द्वारका, पुष्पक विमान और विभिन्न देवताओं के अस्त्र-शस्त्र इत्यादि। उनके अद्वितीय कौशल और शिल्पकला के कारण ही उन्हें 'देवशिल्पी' के रूप में पूजा जाता है।

"Vishwakarma Jayanti

Vishwakarma Jayanti : आज विश्वकर्मा जयंती है और आज के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा को सृजन और निर्माण का देवता माना जाता है। उन्हें सृष्टि का प्रथम इंजीनियर, वास्तुकार और शिल्पकार भी कहा जाता है, जिन्होंने ब्रह्मांड के अद्भुत संरचनाओं का निर्माण किया। उन्हें सभी कारीगरों का संरक्षक देवता माना जाता है और इस दिन विशेष रूप से उद्योगों, कारखानों और निर्माण कार्यों से जुड़े लोग अपने उपकरणों और मशीनों की पूजा करते हैं।

हर साल भारतीय परंपरानुसार भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है और ये औद्योगिक और शिल्प के क्षेत्रों के लिए एक विशेष महत्व का त्योहार है।विश्वकर्मा जी को हिंदू धर्म में सृजन और निर्माण के देवता के रूप में पूजा जाता है और इन्हें ब्रह्मांड के सबसे महान शिल्पकार के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस दिन, विशेष रूप से कारखानों, उद्योगों, निर्माण स्थलों और शिल्पकारों के बीच विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है ताकि काम में प्रगति, सफलता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

कौन थे भगवान विश्वकर्मा

भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के प्रथम इंजीनियर और वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विश्वकर्मा ने स्वर्ग, द्वारका, इंद्रप्रस्थ, पुष्पक विमान, शिव का त्रिशूल, विष्णु का सुदर्शन चक्र और अन्य दिव्य रथों एवं अस्त्रों का निर्माण किया। उनका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है, जहां उन्हें देवताओं का महान वास्तुकार और निर्माणकर्ता कहा गया है। इसीलिए उन्हें ‘देवशिल्पी’ भी कहा जाता है और उनके कौशल का सम्मान करते हुए विश्वकर्मा जयंती का आयोजन किया जाता है।

भारत के विभिन्न हिस्सों में विश्वकर्मा जयंती विशेष उत्साह और धूमधाम से मनाई जाती है। विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में इस दिन को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन न केवल उद्योगों और कारखानों के साथ कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा होती है।

विश्वकर्मा जयंती का महत्व और मान्यता

विश्वकर्मा जयंती का महत्व शिल्पकला, वास्तुकला और निर्माण से जुड़े लोगों के लिए अत्यधिक है। यह दिन उन सभी लोगों के लिए समर्पित है जो किसी भी प्रकार के निर्माण, तकनीकी और यांत्रिक कार्यों से जुड़े हैं। इस दिन मशीनों, औजारों और उपकरणों की पूजा की जाती है ताकि वे सही ढंग से कार्य करें और किसी भी तरह की दुर्घटनाओं से बचाव हो सके।

यह दिन उन लोगों को भी प्रेरित करता है जो निर्माण और सृजन से जुड़े हैं जैसे इंजीनियर्स, आर्किटेक्ट्स, कारीगर, मैकेनिक्स और टेक्नीशियंस आदि। इस दिन विशेष रूप से कारखानों, कार्यालयों और निर्माण स्थलों पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र की स्थापना की जाती है। इसके बाद, मशीनों और औजारों की पूजा की जाती है, ताकि वे सही और सुरक्षित तरीके से काम करें। कई स्थानों पर यज्ञ और हवन का आयोजन भी होता है, जिसमें समर्पण के साथ भगवान विश्वकर्मा की आराधना की जाती है। पूजा के दौरान लोग अपने औजारों को सजाते हैं, उनकी सफाई करते हैं और उनकी विधिवत पूजा करते हैं। यह पर्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि कड़ी मेहनत, दक्षता और कौशल के प्रति समर्पण का भी संदेश देता है। इस दिन तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले लोग नए कार्यों की शुरुआत करते हैं और अपने पुराने कार्यों की उन्नति की कामना करते हैं।

(डिस्क्लेमर : उपरोक्त लेख धार्मिक मान्यतानुसार प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसे लेकर कोई दावा नहीं करते हैं।)


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News